नई दिल्ली। जीवनसाथी के खिलाफ चरित्रहीनता के आरोपों को गंभीर मानते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि एक रिलेशनशिप में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आरोप गंभीर हैं। उन्हें गंभीरता के साथ ही लगाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि शादी एक पवित्र रिश्ता है और स्वस्थ समाज के लिए इसकी शुद्धता को बनाकर रखा जाना जरूरी है। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की बेंच ने ये टिप्पणियां एक महिला की अपील खारिज करते हुए सुनाए गए अपने फैसले में कीं। महिला ने परिवार अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसकी क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए पति पक्ष के आवेदन को स्वीकार कर लिया गया। केस के तथ्यों के मुताबिक, साल 2014 में शादी के बाद ही दोनों पक्षों के बीच आपसी संबंध खराब हो गए थे। 2017 में पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए आवेदन दिया, जिसे 2019 में मंजूर कर लिया गया। महिला सामाजिक विज्ञान की टीचर और पुरुष को एक कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर बताया गया।
अपील खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता ने गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन ट्रायल के दौरान उनमें से कोई भी नहीं टिका। महिला ने अपने ससुर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए जो शिकायत दी, उसमें भी दोषसिद्ध नहीं हुआ। बेंच ने कहा कि उसके विचार से ये दो पहलू ही अपीलकर्ता की क्रूरता के तौर पर लिए जा सकते हैं। शादी एक पवित्र रिश्ता है और स्वस्थ समाज के लिए इसकी शुद्धता को बना कर रखा जाना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि परिवार अदालत के फैसले में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है। परिवार अदालत के फैसले के साथ सहमति जताते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी (पति) और उसके पिता पर निराधार आरोप लगाना उनके चरित्र हनन के समान है, जो पति के साथ मानसिक क्रूरता को दर्शाता है। अपील में भी महिला ऐसा कोई विश्वसनीय साक्ष्य पेश करने में नाकाम रही, जो ट्रायल कोर्ट के नतीजे को गलत ठहराए। कोर्ट ने कहा कि बार-बार यह माना गया है कि पति या पत्नी पर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आरोप उसके चरित्र, रुतबे, प्रतिष्ठा और सेहत पर गंभीर हमला है। इससे मानसिक पीड़ा और चोट पहुंचती है और यह क्रूरता के समान है।
केएमबी न्यूज दिल्ली से संदीप कुमार की रिपोर्ट
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