राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक भीषण गर्मी में पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए रख रहे सकोरा
सिवनी। शासकीय महाविद्यालय कुरई के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों व स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना से जुडे़ कॅरियर मित्रों के द्वारा पक्षियों की प्यास बुझाने हेतु सार्थक पहल की जा रही है। इस अभियान को अच्छा प्रोत्साहन मिल रहा है। इस शुभ पहल के अंतर्गत पक्षियों व परिदों के लिए ऐसी तप्ती घाम व गर्मी से बचाने के लिए इकाई के स्वयंसेवकों के द्वारा अपने घर, अपने गांव एवं महाविद्यालय के विभिन्न स्थानों पर अधिक तादाद में सकोरे लगाए जा रहे हैं जो पक्षियों की प्यास बुझाने हेतु कारगार तरीका है। इस मानवीय पहल को लेकर रासेयो कार्यक्रम अधिकारी पंकज गहरवार ने कहा कि सभी जिम्मेदार नागरिक घरों के बाहर पानी के बर्तन भरकर टांगें या बड़ा बर्तन भरकर रखें जिससे मवेशी व परिंदें पानी देखकर आकर्षित हों और अपनी प्यास बुझाएं। छत में भी पानी की व्यवस्था कर छायादार जगह बनाकर वहां पानी के बर्तन भरकर रखें। अपनी इंसानियत बचाएं रखने के लिए हमें यह काम करना चाहिए। तीजेश्वरी पारधी ने कहा कि पशु-पक्षियों के प्रति सभी को संवेदनशील होना चाहिए। यदि आप पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील है तो आपके बच्चे भी संवेदनशील होंगें। हम भी छोटे-छोटे प्रयास करके पशु-पक्षियों की मदद कर सकते हैं। प्रो0 जयप्रकाश मेरावी ने कहा कि पशु-पक्षियों को बचाने के लिए आमजन को आगे आना होगा। पशु-पक्षियों के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है।रसायन शास्त्र विभाग प्रमुख डॉ. श्रुति अवस्थी ने कहा कि भीषण गर्मी में आसमान में से आग बरस रही है, गर्मी में मानव हो या पशु-पक्षी सभी को ठंडे जल की तलाश रहती है। ऐसे में लोगो की जिम्मेदारी है कि वे पक्षियों के लिए दाना व पानी की उचित व्यवस्था करें ताकि खुले आसमान और धूप में विचरण करने वाले पक्षियों को राहत मिल सके। महाविद्यालय प्राचार्य बी.एस. बघेल ने इस सार्थक पहल का स्वागत करते हुए सभी स्वयंसेवकों के उत्साह की सराहना की। इस पहल को सफल बनाने में स्वयंसेवक व कॅरियर मित्र शिफा अंजुम, सबिया अंजुम, आस्था रॉय, महिमा झारिया, रोहित पन्द्रे, संदीप नेताम, रेहाना खान, दुर्गा गिरि, शिरीन सुल्ताना खान, शैलेष भलावी, रोहित मरकाम, दीपक, प्रभात तुमड़ाम, ज्योति डहरवाल इत्यादि विद्यार्थियों के द्वारा महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है।कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर पंकज गहरवार ने सभी स्वयंसेवकों की मानवीय पहल पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि- ‘‘गरज-बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला। चिड़ियों को दाने बच्चों को गुणधानी दे मौला।।’’
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