पहली मुहर्रम से चल रहा शोहदा-ए-इस्लाम का जलसा सम्पन्न। जलसे के समापन पर मदरसे के 46 स्टूडेंट्स को मुजबानी कुरआन याद करने पर पगड़ी बांध कर हाफिजे कुरआन की उपाधि मिली
केएमबी रुकसार अहमद
सुल्तानपुर 9 अगस्त 2022 को जिले में मुहर्रम का प्रोग्राम शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ।जिले के ग्रामीण और शहरी इलाकों से किसी अप्रिय घटना की सूचना नही मिली। ताजिया अलम लेकर लोग जुलूस निकाले अपने अपने कर्बला में ताजिया दफन किये।
इसी प्रकार खैराबाद स्थित जामिया इस्लामिया मदरसा में खुद्दामे सहाबा अंजुमन की ओर से आयोजित दस रोजा प्रोग्राम शोहदा-ए-इस्लाम के जलसे का भी इक़्तेदाम हुआ।जामिया इस्लामिया मदरसे के नाज़िम-ए-आला मौलाना मोहम्मद उस्मान कासमी ने बताया कि पहली मुहर्रम से दसवीं मुहर्रम तक इस जलसे में अहले सुन्नत वल जमात के बड़े -बड़े आलिमे दीन ,विद्वान दीन इस्लाम के खातिर हक और बातिल की लड़ाई में शहादत पाए शहीदों का तजकिरा करते है जलसे में आये हुए सभी अम्न पसंद शहरियों का शुक्रिया अदा किया जलसे के मेहमान खुशुशी मुख्यातिथि मौलाना सैय्यद आदम मुस्तफा फिरोजाबादी ने इस्लाम और कर्बला के मैदान पर तफसील से रोशनी दाली और खेताब करते फरमाया की सच्चाई के लिए बुराई और कुरीतियों को मिटाने के लिए अपने गर्दनों को कटाने वाले हजरत हुसैन रज़ी अल्लाह अन्ह ने इस्लाम के मानने वालों को कई सीख देकर चले गए ।पहला अल्लाह के लिए मर्दों को सज्दा और किसी भी हालत में सब्र और बर्दास्त करना नही छोड़ना चाहिए सजदे में गर्दन कटा कर जमीन को अपने खून से रंग दिया।दूसरा औरतों के लिए उनका पर्दा किसी भी हालत में पर्दे को बरकरार रखना है।जब हुसैन रजी अल्लाह अन्ह की शहादत की खबर हुई तो उन्होंने सुना हजरत हुसैन की गर्दन काट दी गयी उन्हें शहीद कर दिया गया तो हजरत जैनब और हजरत शहरबानो के चेहरे से न नकाब हटे और न आँचल को नही हटाया पर्दे के यह एहतिमाम है और सब्र बर्दास्त किया।इस्लाम की इन्ही शिक्षाओ की सही जानकारी के लिए यह दस दिन का प्रोग्राम होता है जिससे लोगो सही तारीख की समझ बूझ पैदा हो इस्लाम आलमी तहजीब है मुसलमान आलमी कौम हर जगह बसने वाली कौम है।इस्लाम एक इफ्तेदायी तारीख से वाबस्ता है इसकी दलील कुरान है कुरआन में दुनिया के सबसे पहले मानव अदम अलैहिस्सलाम से लेकर आने वाली कयामत तक का जिक्र है।दुनिया की और मजहबो की तारीख में उतार चढ़ाव और कमियां है ज्यादतियां है इस्लाम की तारीख में ऐसा नही है।इस्लाम की तारीख को कोई मिटा नही सकता जब तक वह कौम खुद मिटाना न चाहे।इस्लामी कलेण्डर है आलिमे इस्लाम के मानने वाले इसी कलेण्डर के अनुसार अपने रोजमर्रा के काम काजो को अंजाम दिया करते थे लेकिन अब हम अंग्रेजो के कलेण्डर के गुलाम हो गए है ।आप लोग अपने रोज की जिंदगी को अपने कलेन्डर के हिसाब से चलाओ कुरान में 30 पारे और चांद की 30 तारीख इन्ही दोनो को याद रखने की कोशिश करो तारीख की हिफाजत करो ।तारीख और तहजीब खुद नही मिटते हम मिटाते है जिस कौम को मिटाना हो उसकी जबान को मिटा दो कौम खत्म हो जाएगी।
हम मक्की दौर से गुजर रहे अभी कर्बला जैसे हालात नही आया है हा अगर मक्की दौर आया है तो मदनी दौर भी आएगा।मक्की दौरे में सब्र और बर्दास्त इसी से काम लो ।हजरत हुसैन से मुहब्बत करते हो तो हालात और असबाब से कितने कमजोर और बेपनाह तकलीफ में हो जाओ कर्बला के मैदान को याद कर लो सब्र और बर्दास्त के साथ जमे रहो उसी तरह तुम भी दीन की हिफाजत के लिए जद्दोजहद करो।शर्त यह है कि तुमको अपने आपको बदलना होगा सजदे की हिफाजत करनी होगी।पहला पैगाम चाँद की तारीख से हर काम करो।दूसरा सज्दा और औरतों को पर्दा की हिफाजत करना चाहिए।उक्त बातें मौलाना सैय्यद आदम मुस्तफा ने खेताब फरमाया।
प्रोग्राम के आखिरी दौर में मदरसे में तालीम हासिल कर रहे 46 स्टूडेंट्स को कुरआन मुजबानी याद कर लेने पर उनकी दस्तारबंदी (सिर में पगड़ी बांध कर )की गई ।स्टूडेंट्स को हाफिजे कुरआन की उपाधि प्रदान की गई। कारी अब्दुल बातिन फैजाबादी ने पगड़ी बांधने के बाद हाफिजे कुरआन की शान में नज्म मनकबद पेश कर लोगो को मन्त्रमुग्ध कर दिया। मौलाना अब्दुल्ला अमीनुल हक ओसामा कानपुरी ने कर्बला की वाक्यात(घटना)को सही तारीख पर रोशनी डाली,किस तरह कूफियो ने हजरत इमाम हुसैन को जंग में साथ देने के लिए चिट्ठी लिख कर बुलाया और धोखे से उन्हें शहीद किया उनके खेमे को आग लगा दी गयी जिससे उनके द्वारा हजरत हुसैन के समर्थन में लिखे खतों का सुबूत मिट जाए। यजीद तक न पहुचे ।उन्होंने सहाबा इकराम के कुर्बानियों पर तजकिरा किया कहा कि इस्लाम की तारिख बेशुमार कुर्बानियों से भरा हुआ है केवल मुहर्रम में कर्बला ही को याद करते है और जिन्होंने इस्लाम दीन के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया उनका भी तजकिरा हम मुसलमानो को करना चाहिए ।हजरत मौलाना शाह अब्दुल रहीम नाज़िम -ए -आला मदरसा रियाजुल उलूम गुरैनी जौनपुर के दुवा पर जलसे का इक्तेदाम हुआ।कार्यक्रम का संचालन मौलाना मोहम्मद ओसामा ने किया। खुद्दामे सहाबा अंजुमन की टीम ने प्रोग्राम में शामिल होने वाले लोगो का खास खिदमत का खास इन्तिजाम किया था।इस मौके पर हजारों की तादात में उलमाए दीन मुफ़्ती, हाफिज, कारी,तालिब इल्म और नगरिक मर्द और औरतें मौजूद रहे। मौलाना मुहम्मद कसीम, मौलाना मताहरुसलाम,मौलाना मुराद कासमी, समाज सेवी व प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रवक्ता निज़ाम खान,शायरून, सुहेल सिद्दीकी,रिजवान अहमद आदि लोग मौजूद रहे।
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