इसे हॉस्टल कहें या तबेला, सौ से अधिक छात्र एक ही हॉल में रहने को मजबूर
अयोध्या। जनपद में आवासीय विद्यालय के रूप में संचालित जवाहर नवोदय विद्यालय के दो छात्रावास जर्जर व दयनीय अवस्था में होने के कारण सौ से ज्यादा बच्चे एक हॉल में रहने को मजबूर हैं, जिसे हॉस्टल की बजाय तबेला कहा जाय तो गलत नहीं होगा। विद्यालय प्रबंधन ने इस मामले को लेकर कई बार पत्राचार भी किया है, लेकिन आज तक इस पर कोई अमल नहीं किया गया। विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि 1972-75 के बीच बने 400 बच्चों की क्षमता वाले इस छात्रावास को 2019 में एचबीटीआई कानपुर और अवध विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने अनुपयुक्त और असुरक्षित घोषित कर दिया है, जिसके कारण इसे खाली कराकर ध्वस्तीकरण के लिए प्रस्तावित किया गया है। जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य कृष्ण कुमार मिश्र ने बताया कि इन दोनों छात्रावासों में कुल मिलाकर लगभग 17 कमरें हैं। उन्होंने बताया कि इस समस्या के बाबत बीते 25 मई को मुख्यालय में वार्ता भी हुई लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका, जिसके कारण बच्चों के रहने के लिए एमपी हॉल की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि बच्चों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो इसके लिए हॉल के खिड़कियों पर जाली लगाने के साथ ही पंखें भी समुचित व्यवस्था की गई है। वहीं इन दोनों छात्रावासों की बात छोड़ दे तो इसके अलावा एक अन्य छात्रावास भी जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है, जिसे मरम्मत की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इस छात्रावास को 2023 तक पूरी तरह से ठीक करा लिया जाएगा।जर्जर छात्रावास की समस्या का समाधान न होने का असर इस वर्ष की शैक्षिक व्यवस्था पर भी साफ देखने को मिला। जवाहर नवोदय विद्यालय में इस वर्ष शैक्षणिक सत्र में छात्रों की संख्या को 80 से घटाकर 40 कर दिया गया है, जिसके कारण विद्यालय में पढ़ने का सपना संजोये छात्रों को इस बार निराश होना पड़ा। विद्यालय के प्राचार्य ने बताया कि ठहरने की व्यवस्था समुचित न होने की स्थिति में जवाहर नवोदय विद्यालय समिति ने सीटों की संख्या में कमी की है।
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