मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 15 वर्षों से कार्य कर रहे अतिथि शिक्षकों का दर्द नहीं दिखा
नवनिर्मित शिक्षकों से की भविष्य की कल्पना
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवनियुक्त उच्च.माध्य. और माध्य. शिक्षकों को संबोधित करते हुए लगभग 1 घण्टे से भी ज्यादा समय व्यतीत किया। सीएम ने कहा कांग्रेस शासन में शासकीय विद्यालयों में गुरूजी रखें गये थे मैं एक बार दौरे पर एक विद्यालय में गया वहां कक्षा में एक छात्र से पूछा- गंगा कहां से निकलती है। छात्र ने ज़बाब दिया-विंध्यांचल से, सीएम बोले, मैंने शिक्षक से पूछा कि कि गंगा हिमाचल की जगह विंध्याचल से क्यों निकलवा रहे तो शिक्षक ने ज़बाब दिया कि 500 रू. में तो गंगा विंध्याचल से ही निकलेगी। तब मैंने गुरूजी को नियमित करने की नीति बनाई और किया। सीएम ने संविदा कर्मी शिक्षक कर्मियो की अपनी उपलब्धि पर भी खूब ढ़िढ़ोरा पीटा नये चयनित शिक्षकों को भी बधाई भी दी शिक्षा मंत्री ने सरकार बनवाने आव्हान किया। मगर दुखद यह है कि जिस मुख्यमंत्री को कांग्रेस की विसंगति 20 साल तक दिख रही और याद है उसे अपनी खामी नज़र नहीं आ रही। कल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस है एक शब्द भी सीएम ने अतिथि शिक्षकों के लिए नहीं बोला गया। तो मुख्यमंत्री जी आप क्या चाहते हैं जो अतिथि शिक्षक गंगा हिमालय से निकलवा रहे क्या वो उनकी गल्ती है क्या उन्हें भी गुरूजी की तरह गंगा को विंध्याचल से निकलवाना चाहिए। बात यह है कि शिवराज सिंह चौहान भूल गए हैं कि यह अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था भी आपके ही द्वारा की गई है जो कि आज मध्यप्रदेश में इनकी स्थिति बहुत ही खराब है। 15 साल कार्य करने के बाद भी उनको सम्मानजनक न ही वेतन और न ही उनको सम्मान दिया जाता है तो आप इस पर भी थोड़ा सा गौर करते तो अच्छी मेहरबानी होती। दूसरों की विसंगतियां आपको तो दिख गई लेकिन आपके द्वारा बनाई गई यह व्यवस्था आपको क्यों नजर नहीं आती।
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