सीएमएस की नाक के नीचे चल रहा है कमीशन का खेल, सीएमएस लाचार
केएमबी रूकसार अहमद
सुल्तानपुर। जिला अस्पताल में जाने-माने डॉक्टरों द्वारा मरीजों का शोषण किया जा रहा है। दूरदराज से गरीब मजदूर तबके के लोग सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने यह सोचकर आते हैं कि वहां पर उनका बेहतर व सस्ता इलाज प्रदेश सरकार की मंशानुसार किया जाएगा लेकिन यहां तो नजारा कुछ और ही देखने को मिलता है। अस्पताल के डॉक्टर ज्यादातर मरीजों को बाहर की दवाएं लिखते हैं और मरीजों से कहा जाता है कि दवा बाहर रोड पर स्थित मेडिकल स्टोर पर मिलेगी। दवा लेकर आइए और दवा हमको दिखाकर तब जाइएगा। गलती से मरीज अगर प्रधानमंत्री जन औषधि से दवा खरीद लेता है तो डॉक्टर साहब उस दवा को वापस करवा देते हैं। कहते हैं यह दवा ठीक नहीं आप दवा बाहर के मेडिकल स्टोर से लेकर आइए इसकी शिकायत जब अस्पताल के सीएमएस से की गई तो उन्होंने कहा वह डॉक्टरों को मना करते हैं कि बाहर की दवा ना लिखी जाए लेकिन फिर भी डॉक्टर सीएमएस के निर्देश को दरकिनार कर बाहर की दवाएं लिखते हैं। डॉक्टर कहते हैं मरीज अपनी मर्जी से बाहर की दवा लिखवाते हैं। बात डॉक्टरों द्वारा बाहर की दवा लिखने तक ही सीमित नहीं है यहां तो मरीजों के खून का भी सौदा किया जा रहा है। अस्पताल के प्रसिद्ध डॉक्टर अनिल कुमार जब राउंड पर निकलते हैं तो अस्पताल के बाहर के पैथोलॉजी संचालक को अपने साथ लेकर चलते हैं। मरीजों का सैंपल निकालकर अपने पैथोलॉजी में जांच के लिए ले जाते हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब हॉस्पिटल में लैब संचालित हो रहा है तो मरीजों का खून बाहर के लैब संचालक क्यों चूस रहे हैं? ऐसे पैथलोजी संचालक जिनका न तो रजिस्ट्रेशन का पता है और न ही उनकी डिग्री का पता है। जब ये डॉक्टर मरीजों के उपचार के लिए चैंबर में बैठते हैं तो उस वक्त भी इनके इर्द-गिर्द प्राइवेट व्यक्तियों का जमावड़ा रहता है जिनका अस्पताल से कोई लेना देना नहीं है। यह सभी लोग बाहर के होते हैं जो एमआर का काम करते हैं और यह डॉक्टरों के पास बैठकर मरीजों को दवा भी लिखते हैं। जिला अस्पताल का जब यही हाल रहेगा तब सरकार की गरीबों के मुफ्त इलाज की मंशा हवा हवाई ही रहेगी।
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स्वास्थ्य समाचार
मैं इसकी घोर निंदा करता हू इसमें लिप्त कर्मचारियों को मुख्यमंत्री महोदय द्वारा तत्काल कार्यवाही कर हटाया जाए।अच्छे लोग बहुत है उन्हें उनकी जगह लगाया जाय
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