पिछले 6 माह से मानदेय न मिलने से मध्यान भोजन कर्मी यूनियन जिला सिवनी की विगत 11 दिनों से जारी हड़ताल
सिवनी। मध्यान भोजन कर्मी यूनियन जिला सिवनी के बैनर तले जिले के समस्त ब्लॉकों की मध्यान भोजन कर्मियों की विगत 11 दिनों से अंबेडकर चौक पर हड़ताल जारी है। शासन की योजनाओं के अंतर्गत मध्यान भोजन संचालित करने वाले इन कर्मियों की इस धरने से कुछ प्रमुख मांग सरकार के समक्ष रखी गई है। इस धरना प्रदर्शन में मध्यान भोजन कर्मी यूनियन मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष तीरथ प्रसाद गजभिए द्वारा बताया गया कि विगत 6 माह से मध्यान भोजन बनाने वाली कर्मियों को अभी तक शासन द्वारा उनका मानदेय नहीं दिया गया है जिससे इन लोगों पर गुजर-बसर करने की विषम परिस्थिति सामने खड़ी हो चुकी है। वहीं शासन द्वारा स्वयं सहायता समूह को समय पर राशन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है जिससे मध्यान भोजन कर्मियों को दिक्कतें बन रही है साथ ही समूह के खाते पर निश्चित समय पर भी पैसा नहीं डाला जाता है। जिला अध्यक्ष किरण नाम देवें जिला संगठन जिला सचिव आनंद हरिनखेडे द्वारा बताया गया कि कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शासन को घोषित करना चाहिए। बेहिसाब तरीके से बढ़ रही महंगाई को देखते हुए (क्युकी मध्यान भोजन कर्मियों को मानदेय नाम मात्र मिलता है) को देखते हुए शासन को ₹18000 प्रति माह इन वर्करों को देना चाहिए। माध्यमिक शालाओ में अगस्त माह 2022 में जो खाद्यान कटौती की गई है उसकी भरपाई की जानी चाहिए। स्व सहायता समूह को इस महंगाई के समय राशि बढ़ाकर दी जाए ताकि समूह चलाने में किसी प्रकार की भी कोई परेशानी ना हो। इसके सहित अन्य 18 बिंदुओं की मांगों को लेकर के मध्यान भोजन कर्मी यूनियन सिवनी अपनी हड़ताल पर बैठे हुए हैं। वही प्रमोद वासुकी जिला मध्यान भोजन कर्मी यूनियन जिला इकाई सिवनी और ओमप्रकाश मेश्राम (बबलू भैया) द्वारा बताया गया की मध्यान भोजन कर्मी शासन की योजनाओं के अंतर्गत मध्यान भोजन संचालित करते हैं परंतु हमें काम करवाने के बाद कर्मचारी नहीं माना जाता जो संवैधानिक नहीं है संविधान में यह अधिकार प्राप्त है जो कि शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन करता है उसे सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए इस आशय पर प्रदेश सरकार से हमारी निरंतर मांगे जारी है। वर्तमान में कार्यरत किसी भी मध्यान भोजन कर्मी को काम से ना हटाया जाए, हटाए गए वर्कर्ष को काम पर बहाल किया जाए, दर्ज संख्या का बहाना बनाकर वर्करों को निकालने का खेल शासन खेल रहा है, प्रत्येक स्कूल में कम से कम 2 वर्कर की नियुक्ति की जाए, साथ ही 12वीं कक्षा तक के बच्चों को खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में लगाया जाएगा इसी अनुसार मिड डे मील योजना का सभी स्कूलों में विस्तार किया जाए प्राइवेट स्कूल बंद करें या फिर प्राइवेट स्कूलों में भी मध्यान्ह भोजन योजना लागू की जाए सभी स्कूलों में किचन सेड, स्टोर, पीने का पानी आदि जरूरी संसाधन तथा कुकिंग गैस व्यवस्था की जानी चाहिए।
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