बिछुआ नगर में मातृ शक्तियों के भजन कीर्तन से भक्तिमय हुआ माहौल
बिछुआ। नगर परिषद बिछुआ मे
महिलाओं द्वारा कार्तिक मास पर प्रतिदिन प्रातः काल एकत्रित होकर पूरे शहर भ्रमण करते हुए भजन कीर्तन गायन के साथ मातृ शक्ति के प्रयास से धर्ममय लोगों ने कीर्तन भजन गाकर माहौल को भक्ति मय बना दिया। कार्तिक पूर्णिमा को लेकर लोगों में उत्साह चरम पर देखा जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के चातुर्मास का सबसे प्रमुख मास होता है। कार्तिक मास को ही देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागृत होते हैं। इस महीने में भगवान विष्णु के साथ तुलसी पूजन का विशेष महत्व माना गया है। इसी महीने में तुलसी और शालिग्राम का विवाह आयोजित होता है। कार्तिक मास में गंगा स्नान, दीप दान, यज्ञ और अनुष्ठान परम फल देने वाले माने गए हैं। इनको करने से आपके कष्ट दूर होने के साथ पुण्य की प्राप्ति होती है और ग्रह दशा भी सुधरती है। कार्तिक मास में ही धनतेरस, दीवाली, छठ और कार्तिक पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण व्रत त्योहार पड़ते हैं। कार्तिक माह हिदू पंचाग का आठवा महीना है। कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु के दामोदर भगवान स्वरूप की पूजा की जाती है। यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। भजन कीर्तन का विशेष महत्त्व बताया गया है। नगर बिछुआ में मातृ शक्तियों द्वारा भजन कीर्तन से भक्तिमय वातावरण हो गया। पौराणिक मान्यताओं के चातुर्मास का सबसे प्रमुख मास होता है कार्तिक मास को ही देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागृत होते हैं। इस महीने में भगवान विष्णु के साथ तुलसी पूजन का विशेष महत्व माना गया है इसी महीने में तुलसी और शालिग्राम का विवाह आयोजित होता है कार्तिक मास में गंगा स्नान, दीप दान, यज्ञ और अनुष्ठान परम फल देने वाले माने गए हैं। इनको करने से आपके कष्ट दूर होने के साथ पुण्य की प्राप्ति होती है और ग्रह दशा भी सुधरती है। कार्तिक मास में ही धनतेरस, दीवाली, छठ और कार्तिक पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण व्रत त्योहार पड़ते हैं
कातिक माह हिदू पंचाग का आठवा महीना है। कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु के दामोदर भगवान स्वरूप की पूजा की जाती है। यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है भजन कीर्तन का विशेष महत्त्व बताया गया है। सहयोग के रूप में मातृशक्ति बड़ी संख्या में भक्तगण शमिल होते जा रहे हैं। इसमें माया पटेल, भूरी साहू, झीटो बाईं धुर्वे, अनीता रघुवंशी, दीपिका चोपडे, आशा गाकरें, गीता चोपडे, गीता सूर्यवंशी, गीता माटे, लीला मनमोड़े, जयंती बाई, कौशल्या माता, उमा दुबे, जेवंती आदि समस्त मातृशक्तियां मौजूद रहीं।
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