जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी के सुल्तानपुर पहुंचने पर हुआ जोरदार स्वागत

जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी के सुल्तानपुर पहुंचने पर हुआ जोरदार स्वागत

केएमबी मोहम्मद अफसर

सुलतानपुर। आयोध्या धाम से चलकर डाॅ शैलेन्द्र त्रिपाठी के निज आवास सीताकुण्ड धाम पहुंचे पद्म विभूषण, तुलसी पीठाधीश्वर, जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महराज। शंख ध्वनि से की गयी महराज जी की आरती, शहर के दर्जनों भक्त पहुंचे जगद्गुरु के दर्शन को।डा. शैलेन्द्र त्रिपाठी पत्नी राज लक्ष्मी त्रिपाठी संग पांव पखार लिया आशीर्वाद।भाव विभोर हुए जगद्गुरु को पाकर भक्त। करीब आधा घण्टे आवास पर रूक कर किया विश्राम और जाना अपने भक्तो का हालचाल।11:15 पर अपने आश्रम चित्रकूट धाम के लिए हुए रवाना। दर्शन को पहुंचे दर्जनों भक्तो में विजय रघुवंशी भाजपा जिला जिला मीडिया प्रभारी, अरूण दिवेदी जिला मीडिया संयोजक, सुशील उपाध्याय एडवोकेट, अजय पाण्डे,मुन्ना चौबे, अभिषेक मिश्रा एवं शहर के सभ्रांत जनों ने जगद्गुरू रामभद्राचार्य जी का लिया आशीर्वाद। बतादे जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट धाम, उत्तर प्रदेश में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्,
बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार,दार्शनि और हिन्दू धर्मगुरु हैं।वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 ई से प्रतिष्ठित हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज जी चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं।यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं। अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया है। वे बहुभाषाविद् हैं और 22 भाषाएँ बोलते हैं। वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं।उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है। उनकी प्रमुख रचना में चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है,और वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है।
और नया पुराने

Ads

विज्ञापन लगवायें

अपना विज्ञापन हमें भेजें व्हाट्सएप नं० 9415968722 पर

1 / 7
2 / 7
3 / 7
4 / 7
5 / 7
6 / 7
7 / 7

Ads

अपना विज्ञापन हमें भेजें व्हाट्सएप नं० 9415968722 पर

विज्ञापन लगवायें!!! S-1

1 / 3
2 / 3
3 / 3

विज्ञापन लगवायें!!! S-2

1 / 3
2 / 3
3 / 3
Description of Image 1

विज्ञापन लगवायें!!!

Description of Image 2

Description of Image 3

نموذج الاتصال