दूसरो की मर्यादा को सुरक्षित रखेंगे, तो आपकी मर्यादा सुरक्षित रहेगी, चाँदा के गड़मा कोइरीपुर मे श्रीराम कथा में बोले पुष्कर जी महाराज
चाँदा सुलतानपुर। जब आप दूसरे की मर्यादा को सुरक्षित रखेंगे तभी आपकी मर्यादा सुरक्षित रह सकेगी। रामचरितमानस मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम प्रभु का उत्तम चरित्र वर्णन गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया है। उक्त उदगार कथा व्यास आचार्य पुष्कर जी महाराज ने गड़मा कोइरीपुर गाँव मे चल रही सप्त दिवसीय संगीतमय कथा के पाँचवे दिन व्यक्त किए। व्यास महाराज ने राम वनवास व राम केवट संवाद कथा की मनोहारी व्याख्या किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भगवान राम चौदह वर्ष वनवास के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा घाट पर पहुंचे और केवट से गंगा पार करने के लिए नाव मांगा तो केवट ने कहा, मैं आपके मर्म जान लिया हूं, आपके चरण कमलों की धूल के स्पर्श मात्र से पत्थर भी नारी बन जाती है। पहले पांव धुलवाओ फिर नाव पर चढ़ाऊंगा। कथा व्यास पुष्कर जी महाराज ने कहा कि जिससे पूरी दुनिया मांगती है आज गंगा पार जाने के लिए दूसरे से मदद मांग रहे हैं। जो सारे सृष्टि को तीन पग में नाप सकता है। क्या वह पैदल गंगा नहीं पार कर सकता। भगवान दूसरों की मर्यादा को समझते हैं। वैसे ही घाट की एक मर्यादा होती है। भगवान केवट के पास इसलिए आए कि वह हम लोगों से कहना चाहते हैं कि हम लोग बहुत बड़े बड़े लोगों के दरवाजे पर उनके सुख-दुख में जाते रहते हैं। भगवान कहना चाहते हैं कि हमें कभी छोटे लोगों के यहां भी जाना चाहिए। राम केवट कथा सुनने से हमें यह सीख लेनी चाहिए। कथा को भाव व प्रेम से सुनने वाले ही ज्ञान प्राप्त करते हैं। रामायण का मुख्य रस करुण वास्तव में हृदय में करुणा आ जाए तो वीरता और पराक्रम की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इस मौके पर पिंटू पांडेय, कन्हैया पांडेय, सुभाष पांडेय, अनिल पांडेय, अरविंद पांडेय की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। बीच बीच मे सुमधुर भजनों से भक्तगण आनन्दित होते रहे।
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