श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन जगद्गुरु राघवाचार्य बोले कि सृष्टि का सार तत्व है परमात्मा
चाँदा, सुल्तानपुर। संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। उक्त उदगार कमला प्रसाद सिंह पीजी कॉलेज रामगढ़ परिसर में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के पांचवें दिन जगद्गुरु राघवाचार्य जी महाराज ने उपस्थित भक्तों के समक्ष व्यक्त किये। महाराज श्री ने भगवान की बाल लीलाओं का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। कथा को आगे बढ़ाते हुये जगद्गुरु ने कहा कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। जीव का कल्याण इसी में संभव है। श्रीकृष्ण केवल ग्वाल-बालों के सखा भर नहीं थे, बल्कि उन्हें दीक्षित करने वाले जगद्गुरु भी थे। श्रीकृष्ण ने उनकी आत्मा का जागरण किया और फिर आत्मिक स्तर पर स्थित रहकर सुंदर जीवन जीने का अनूठा पाठ पढ़ाया। कथा के बीच बीच सुमधुर संगीत स्वर लहरियों से वातावरण भक्तिमय हो उठा। इस मौके पर ड़ॉ अवनीश सिंह, मनीष सिंह, रजनीश सिंह, अखिल सिंह, निखिल सिंह, इंद्रजीत सिंह, मल्ले सिंह ,विद्याधर तिवारी ने जगद्गुरु को पुष्पहार भेट कर आशीर्वाद लिया। इसके पूर्व मुख्य जज मान हनुमान प्रसाद सिंह ने व्यास पीठ का पूजन व माल्यार्पण किया।
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