शिक्षा सनातन काल से ही चिंतन का विषय रही है - प्रोफेसर रामजी तिवारी
कादीपुर के संत तुलसीदास पीजी कॉलेज में शिक्षा शास्त्र विभाग के तत्वावधान में आयोजित कर्मयोगी पं रामकिशोर त्रिपाठी स्मृति व्याख्यानमाला में 'शिक्षा का महत्व' विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो रामजी तिवारी ने अपने संबोधन में कहा की शिक्षा सनातन काल से चिंतन का विषय रही है । हमारे विद्यालय एक मंच है जिसमें शिक्षक निर्देशक की भूमिका निभाता है तथा बच्चे अभिनेता होते हैं। बतौर मुख्य अतिथि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो रामदेव शुक्ल ने शिक्षा पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि शिक्षा के लिए आवश्यक आचरण की सभ्यता को अंग्रेजों ने खत्म कर दिया। भावी पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए आचरण की शुद्धता का होना जरूरी है। कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. आदित्य नारायण त्रिपाठी एवं अवधी के प्रख्यात साहित्यकार लोक भूषण डॉ आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' ने भी संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में आगत अतिथियों का महाविद्यालय के प्रबन्धक श्री सौरभ त्रिपाठी ने हार्दिक आभार ब्यक्त किया।तथा प्राचार्य प्रो रामनयन सिंह जी ने कार्यक्रम की सफलता तथा संचालन के लिए महाविद्यालय परिवार सहित अतिथियों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ सतीश कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष एवं साहित्यकार डॉ सुशील कुमार पांडेय,डा धर्मपाल सिंह , मथुरा प्रसाद सिंह जटायु, दिनेश प्रताप सिंह, विजय शंकर मिश्रा, रामप्यारे प्रजापति ,सुरेश चंद्र शर्मा, डॉ इंदु शेखर उपाध्याय, बृजेश कुमार पांडेय, कृष्ण कुमार सिंह भीम, सर्वेश कांत वर्मा,महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ जितेंद्र कुमार तिवारी, मुख्य नियंता डॉ मदन मोहन सिंह, डॉ एसबी सिंह, प्रो महिमा द्विवेदी, डॉ संजीव रतन गुप्ता, डॉ संजय सिंह, डॉ करूणेश भट्ट, डॉ हरेंद्र सिंह, डॉ समीर पाण्डेय, डॉ चंद्रप्रकाश, डॉ राजेन्द्र मिश्र, कुमुद राय, अवनीश प्रताप पांडेय ,डॉ प्रभाकांत त्रिपाठी, डॉ नीरज तिवारी, डॉ अनिल यादव,डॉ वंदना मिश्रा, सुनील त्रिपाठी सहित भारी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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