तीन नदियों, तीन लोकभाषा
और तीन जिला मुख्यालयों के
त्रिवेणी संगम पर स्थित है यह
वैशाली जिले का मुख्यालय
हाजीपुर शहर- रवींद्र-रतन
हाजीपुर। गंगा-स्नान की पुर्व सन्ध्या पर मानवाधिकार के पत्रकार, साहित्यकार भाई शशि भूषण मिलने आए। स्वतंत्रता सेनानी, ताम्रपत्रधारी मेरे स्मृति शेष पिताश्री की मूर्ति के अनावरण पर न आने की मजबूरी बताते हुए उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। कार्तिक पूर्णिमा के गंगा-स्नान पर मेरी प्रतिक्रिया और श्रद्धालुओं के प्रति शुभकामना का आग्रह किया। पहले तो मैंने मानवाधिकार के भाई शशि को बधाई और धन्यवाद दिया कि वे पिता जी की प्रतिमा पर श्रद्धा निवेदित करने आए, फ़िर उनके प्रश्नो का जबाब देते हुए बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल कोनहारा को कौन भूल सकता है, जहाँ गज की पुकार पर स्वयं भगवान विष्णु पधारे, जिनके कारण इस घाट का पौराणिक मह्त्व बढ़ जाता है। कार्तिक पूर्णिमा एवं गंगा स्नान की महत्ता बताते हुए कहा कि प्रयागराज को त्रिवेणी का संगम कहते हैं मगर यह हाजीपुर शहर उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह तीन नदियों, गंगा-गंडक और नारयनी के संगम पर बसा है और भाषाई दृष्टि से यह मघही, भोजपुरी और बज्जिका जैसी तीन लोक भाषाओं के संगम पर बसा है। यह उत्तर बिहार की राजधानी मुजफ्फर पुर, सारण का मुख्यालय छपरा और बिहार की राजधानी पटना जैसे तीन शहरों के संगम पर बसा यह शहर त्रिवेणी है या प्रयाग? इस शहर का राजनीतिक, आर्थिक, सामजिक और धार्मिक महत्व है।भगवान राम जनकपुर इसी शहर होकर गए थे, भगवान बुद्ध का यही कर्म क्षेत्र था, भगवान महावीर का यहीं जन्म स्थान था, राजनर्तकी अम्ब्पाली की व्यथा-कथा यहीं के आम्रवन से शुरु हुई और यही खो गई। कहते हैं कि इसी दिन भगीरथ जी ने गंगा को धरती पर लाया।इसलिये आज के दिन गंगा स्नान पुन्यकाल मान गया है। कहा जाता है कि यह हरिहर क्षेत्र का मेला भी पहले हाजीपुर में ही लगता था जो घसक्ते-घसक्ते अब सोनपुर चला गया। जरुरत है कोई जे पी, कोई राजेन्द्र प्रसाद या लगातार 16 वर्षों तक विधान सभा के सभापति रहे विन्देश्वरि प्रसाद वर्मा जैसा कोई विभूति पुन: पैदा हो जो इस हाजीपुर को पौराणिक ऐतिहासिक गरिमा को पुनर्स्थापित करा सके। हम जनता दल यू के कला-संस्कृति एवं खेल प्रकोष्ठ के प्रदेश महा सचिव एवं बौद्धिक मंच के अध्यक्ष होने के नाते बिहार के तमाम गंगा स्नान पर आए हुए श्रद्धालुओं के सुन्दर-स्वस्थ्य, सुखी जीवन और सददृढ भविष्य की शुभकामना देता हूँ तथा प्रसन्नता प्रकट करता हूँ कि गंगा स्नान में घाटों पर सच्चा समाजवाद का दर्शन होता है। छुआ- छूत, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर सबका भेद मिट जाता है। गंगा-जल से स्नान कर नफरत की दीवार ढह जाती हैं। गंगा-स्नान को जाते ही मिट जाती है छुआ-छूत।पास-पास ही सब करते स्नान ब्रहमण, शूद्र, वैश्य, राजपूत और गरीब-अमीर, ऊंच-नीच छुआ-छूत का भेद मिटाता। कार्तिक पूर्णिमा का स्नान नफरत की दीवार मिटाता।
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