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वीरों की धरती बुंदेलखंड की बदलेगी तस्वीर, निवेशकों ने जताया भरोसा, यूपीएसआईडीसी को मिले कई प्रस्ताव

वीरों की धरती बुंदेलखंड की बदलेगी तस्वीर, निवेशकों ने जताया भरोसा, यूपीएसआईडीसी को मिले कई प्रस्ताव

केएमबी ब्यूरो रानू शुक्ला

लखनऊ। पौराणिक दृष्टि से बुंदेलखंड की महिमा अधिक विशाल एवं महान रही है।नारद और सनकादि ऋषियों ने साधना और तपस्या की धुनी यहीें रमाई है।समुद्र मंथन के पश्चात महादेव शिव ने विष की अग्नि को शांत करने के लिए प्रसिद्ध कालिंजर को ही चुना।यहां का सौभाग्य है कि भगवान श्रीराम ने सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ वनवास काल का अधिकांश समय चित्रकूट में व्यतीत किया।इसी बुंदेली धरा पर पाण्डवों ने वनवास का बहुत समय व्यतीत किया। इस बुन्देल वसुन्धरा ने उनके विपत्तिकाल में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान कर उनके लक्ष्य को पूरा किया।हिन्दी के प्रसिद्ध कवि अब्दुल रहीम खान ने बुंदेलखंड पर अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा था-

चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध नरेस।
जा पर बिपदा परत है,सो आवत यहि देस॥

बुंदेलखंड के वातावरण में झांसी की कसक, दतिया की ठसक, बांदा की अकड़़ और जालौन की पकड़़ आज भी अपनी वास्तिविकता का परिचय देती हैं। बुदेली वसुन्धरा ने अनेक वीर रत्नों और योद्धाओं को जन्म दिया है जिनकी वीर गाथायें इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं।चंद्रबर्मन, मदनबर्मन, धंग, महोवा के वीर यौद्धा आल्हा, ऊदल जिन्हे पृथ्वीराज ने अनेक बार पराजित करने की कोशिश की। यहां धामौनी में पैदा हाने वाले अकबर के नौ रन्नों में से एक अवुल फजल फैजी का वीर सिंह बुन्देला ने आंतरी (ग्वालियर) के निकट सिर कलम किया तो शेरशाह सूरी व कुतबद्दीन ऐबक जैसे सम्राटों को मृत्यु की सेज पर सुलाने का श्रेय इसी धरती को जाता है।प्रसिद्ध बुन्देला राजा मधुकरशाह, चम्पतराय, बुंदेलखंड के बोनापार्ट महाराज क्षत्रसाल और ब्रिट्रिश हुकूमत की जड़े़ हिला कर रख देने वाली बीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प0 परमानंद, भगवानदास माहौर, मास्टर रुद्रनारायन आदि वीर इसी वसुन्धरा की कोख में जन्में, बड़े हुए और वीरों की लीला का क्षेत्र भी यही धरा रही।
साहित्यिक दृष्टि से भी बुंदेलखंड का स्थान अधिक महत्वपूर्ण है। महर्षि वाल्मीकि, वेदव्यास, कृष्ण द्वैपायन, भवभूति आदि संस्कृत के कवियों का यहीं जन्म हुआ था। हिन्दी साहित्य को जगनिक, गोस्वामी तुलसीदास, केशव, विहारी, भूषण, पद्माकर, ईसुुरी, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, वियोगहरि, डा0 वृन्दावन लाल वर्मा जैसे सरस्वती के पुत्रो को पैदा करने का श्रेय बुंदेलखंड को ही प्राप्त है।बुंदेलखंड का इतिहास और प्राकृतिक वातावरण भी वैभवशाली और रमणीक है।इसके बावजूद भी दशकों से बुंदेलखंड की हालत ठीक नहीं रही है।
औद्योगिक विकास के मामले में दशकों से पिछड़ापन झेल रही वीरों की धरती बुंदेलखंड की तस्वीर अब आने वाले दिनों में बदली हुई नजर आएगी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की आर्थिक गति को और तेज करने के लिए अगले वर्ष फरवरी में यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 के जरिए निवेशकों को रिझाने में लगे हैं।योगी सरकार ने दावा किया है कि यह आयोजन प्रदेश में निवेश के पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त कर देगा।इससे पलायन के लिए विख्यात बुंदेलखंड की सूरत बदलने की भी बात कही जा रही है।
उत्तर प्रदेश के बदले माहौल के बीच अब निवेशकों को वीरों की बुंदेली धरती बहुत रास आ रही है।बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और डिफेंस कॉरिडोर से बुंदेलखंड में रोजगार की संभावनाओं को बल मिल रहा है।निवेशकों को बुंदेलखंड के तेजी से विकसित होने का भरोसा हो गया है।इसलिए वह अपने बड़े प्रोजेक्ट को यहां शुरू करने की तैयारी में हैं।इन प्रोजेक्ट के शुरू होने से बुंदेलखंड की तस्वीर बदलेगी और लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के नये अवसर मिलेंगे।

बुंदेलखंड के चार जिलों में निवेश के कई प्रस्ताव

उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूपीएसआईडीसी)को झांसी,ललितपुर,उरई और हमीरपुर में निवेश के कई प्रस्ताव मिले हैं।एक कंपनी से एमओयू भी साइन हो गया है। इससे आने वाले दिनों में क्षेत्र के औद्योगिक विकास की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
जमीन की पर्याप्त उपलब्धता के बाद भी वीरों की धरती बुंदेलखंड औद्योगिक रूप से हमेशा पिछड़ा रहा,जिससे यहां रोजगार के अवसरों का भी भारी अभाव रहा। यहां के लोगों को रोजगार के लिए देश के महानगरों की ओर पलायन करना पड़ जाता है,लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।खासतौर पर बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे ने निवेशकों का ध्यान इस ओर खींचा है। हाल ही में यूपीएसआईडीसी को क्षेत्र के अलग-अलग जिलों में निवेश के कई प्रस्ताव मिले हैं।

100 करोड़ का इन जिलों में होगा निवेश

गुजरात के सूरत की एक कंपनी ने झांसी,जालौन और उरई में ग्रुप हाउसिंग का प्रस्ताव यूपीएसआईडीसी को दिया है।ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में कंपनी उरई में 90 करोड़ का निवेश करेगी,जबकि झांसी में फिलहाल 10 करोड़ का निवेश करने जा रही है।झांसी के लिए यूपीएसआईडीसी और सूरत की कंपनी जर्मिनेट इंफ्रा एनर्जी के बीच एमओयू साइन भी हो गया है।अब इस पर जल्द ही धरातल पर काम शुरू हो जाएगा।

उरई में 175 करोड़ का निवेश

गाजियाबाद की कंपनी एसआर प्राइवेट लिमिटेड ने उरई में टीएमटी सरिया उत्पादन की इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव यूपीएसआईडीसी को दिया है।यूनिट की स्थापना में कंपनी 175 करोड़ रुपए का निवेश करेगी।इससे सीधे तौर पर 550 लोगों को रोजगार हासिल होगा।

ललितपुर में सीमेंट कंपनी की यूनिट

ललितपुर में एक सीमेंट कंपनी की ओर से यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव आया है।हमीरपुर में हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) ने इकाई स्थापित करने में रुचि दिखाई है।इसे लेकर कंपनी की यूपीएसआईडीसी से बातचीत अंतिम दौर में है।

फरवरी तक कई एमओयू पर होंगे हस्ताक्षर

यूपीएसआईडीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक मयंक मंगल के मुताबिक बुंदेलखंड के अलग-अलग जिलों में निवेश के लिए विभिन्न कंपनियों की ओर से रुचि दिखाई गई है।कंपनियों और यूपीएसआईडीसी के बीच बातचीत की प्रक्रिया अंतिम दौर में है।अगले साल फरवरी तक उम्मीद है कि कई कंपनियों से एमओयू साइन कर लिए जाएंगे।इससे क्षेत्र में औद्योगिक माहौल सृजित होगा।स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे।

निवेश से बदल रही बुंदेलखंड की तस्वीर

बुंदेलखंड में निवेश की बात करें तो पिछले पांच सालों में 6800 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश हुए हैं।इसमें 284 करोड़ रुपए की लागत की 25 कंपनियों ने उत्पादन शुरू भी कर दिया है।इसके अलावा 2900 करोड़ रुपए की शेष परियोजनाएं भी शुरू होने की स्थिति में हैं।बुंदेलखंड के जालौन, झांसी, ललितपुर, बांदा और महोबा में निवेश आए हैं।
हिंदुस्तान यूनिलीवर इंडिया (एचयूएल) ने कुछ महीने पहले हमीरपुर जिले के सुमेरपुर में बुंदेलखंड में डिटर्जेंट इकाई की शुरुआत कर दी है।इकाई के लोकार्पण के साथ ही कंपनी ने बुंदेलखंड में 700 करोड़ रुपए के निवेश का भी ऐलान किया। डिफेंस कारिडोर के छह नोड्स में से झांसी और चित्रकूट बुंदेलखंड में हैं।इसे लेकर भी कई कंपनियों ने निवेश की घोषणा की है। इसी तरह जो बुंदेलखंड विकास के लिहाज से उपेक्षित माना जाता था,अब वहां की सूरत बदलने जा रही है।
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