राजा दलपत शाह की प्रतिमा को खंडित करना शर्मनाक- राजा मुबीन
सिवनी। नगर के दलसागर तालाब में स्थापित राजा दलपत शाह की प्रतिमा को कुछ असामाजिक उपद्रवी तत्वों द्वारा खंडित किया जाना बहुत ही शर्मनाक है। राजा दलपत शाह का इतिहास देश के लिए गौरवशाली रहा है, वह आदिवासी समाज के गौरव हैं और आदिवासी समाज की आस्था का प्रतीक है जिनका सम्मान देश के सभी जाति वर्ग के लोग करते हैं। वर्तमान सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा आदिवासी समाज के उत्थान और उनके संरक्षण की बड़ी-बड़ी बातें की जाती है परंतु धरातल में वास्तविकता कुछ और ही है। आज सबसे ज्यादा प्रताड़ित आदिवासी समाज दलित एवं अल्पसंख्यक समाज है जिनका लगातार शोषण हो रहा है और लिंचिंग जैसी घटनाएं लगातार घटित हो रही हैं। घटना करने वालों के हौसले बुलंद हैं। वर्तमान सरकार एकतरफ पेशा एक्ट लागू कर आदिवासी वोट बैंक को साधने का प्रयास कर रही है। वही लगातार आदिवासियों पर अत्याचार और उनके शोषण की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं जिससे इन सरकारों का दोहरा चरित्र उजागर होता है। राजा दलपत शाह देश का गौरव है और आदिवासी समाज की आस्था का प्रतीक है। उनकी प्रतिमा को खंडित करने वाले असामाजिक तत्वों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए और नगर पालिका द्वारा दलसागर तालाब के टापू में दलपत शाह की प्रस्तावित प्रतिमा जल्द स्थापित किया जाना चाहिए और जिले के आदिवासी समाज से आने वाले कुछ जनप्रतिनिधि जो अपने आपको आदिवासी समाज का हितेषी बताते हैं मात्र औपचारिकता निभाने और श्रेय लेने के लिए मुद्दों को उठाते हैं, जिनका आदिवासी समाज क्षेत्र की जनता के हित में और क्षेत्र के विकास के लिए कोई योगदान नज़र नहीं आता और उनके कार्यकाल में कोई उपलब्धि नहीं दिखाई देती। उन्हें भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि उन्हें पुनः जनता के बीच में जाना है। वह किन उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच में जाएंगे।
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