कंटेंट लेखक ने वितरित किया मेधावियों को प्रमाण पत्र व पुरस्कार

अक्टूबर माह में कंटेंट लेखक द्वारा आयोजित स्वतंत्र विचार लेखन प्रतियोगिता का परिणाम 25 अक्टूबर को घोषित किया जा चुका है, जिसका पुरस्कार व प्रमाण पत्र वितरण आज सायं संपन्न हुआ, जिसमें अभिषेक त्रिपाठी ने प्रथम स्थान प्राप्त कर तिलोई जगदीशपुर को गौरवान्वित किया, प्रतिस्पर्धा अधिक होने के कारण मेधावी छात्रा आयुषी चौरसिया व प्रतिभा शुक्ला ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया, पलिया पूरब मुसाफिरखाना की अंशिका मौर्या ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।छात्रा आयुषी ने प्रतियोगिता को समर्थन देते हुए कहा :- "मैं स्वतंत्र विचार लेखन प्रतियोगिता की प्रतिभागी लगातार दो बार रह चुकी हूं और विजेता भी घोषित हुई, इस प्रतियोगिता के नियम और शर्ते विश्वासजनक व उचित है ,मैं पूर्ण रुप से सहमत हूं और लगातार दो बार विजेता होने की वजह से मैं विश्वास के साथ यह कह सकती हूं कि यह प्रतियोगिता बहुत ही प्रभावी ढंग से शुरू व संपन्न होती है और अंत तक कंटेंट लेखक द्वारा मार्गदर्शन मिलता रहता है,मुझे इस प्रतियोगिता से मेरे लिखने की कला और विचार दोनों में वृद्धि व कुशलता आई है, मैं आशा करती हूं कि इस फ्री लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर अपने रिक्त समय का सदुपयोग करें।" साथ ही प्रतिभा शुक्ला ने भी छात्रा आयुषी के कथनों का समर्थन किया। और पुरस्कार वितरण के अंतिम कड़ी में कंटेंट लेखक के संपादक जी ने हर माह आयोजित होने वाली स्वतंत्र विचार लेखन प्रतियोगिता में अधिक से अधिक इच्छुक अभ्यर्थी का आवाहन करते हुए लेखन कला के बारे में बताया :- "साधारण रूप से लेख के विषय परिचित विषय होते हैं, यानी जिनके बारे में हम सुनते, देखते व पढ़ते रहते हैं; जैसे – धार्मिक त्योहार, राष्ट्रीय त्योहार, विभिन्न प्रकार की समस्याएँ, मौसम आदि।जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल विचार-विमर्श के लिए हमें श्रेष्ठ लेखन की आवश्वयकता होती है। लेख किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। आज सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक विषयों पर लेख लिखे जा रहे हैं। संसार का हर विषय, हर वस्तु, व्यक्ति एक लेख का केंद्र हो सकता है। “लेखन में लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।”आसय यह है की लेख लेखक के मन की प्रवृत्ति के अनुरूप ही होना चाहिए और लेख का लेखन स्वच्छन्द गति पर आधारित हो अर्थात लेख ऐसा लिखना चाहिए कि लेखक का चिंतन, वैचारिक स्तर, विषय पर उसकी स्वयं की विचारधारा स्पष्ट हो जानी चाहिए।इसके अतिरिक्त लेखक को नदी की धारा के समान बहना चाहिए, किसी अन्य के मत से प्रभावित हुए बिना। यह अत्यन्त आवश्यक है कि लेखक का व्यक्तिगत परिचय या स्वार्थ विषय-वस्तु को प्रभावित न करे।
ज़रूरी नहीं कि आप जो भी लिखें वो सभी को स्वीकार्य हो, ज़रूरी ये है कि आप निष्पक्ष हो कर लिखें क्योंकि निष्पक्षता ही किसी लेख की प्रथम और अंतिम कसौटी है।
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