गांव को विकसित बनाने में महिला ग्रामप्रधान का सराहनीय पहल
बल्दीराय, सुल्तानपुर। जहां आज के इस आधुनिक युग में भी ग्रामीण महिलाएं घर की चौखट से बाहर नहीं निकल पाती क्योंकि उन्हें समाज की उलाहना सहनी पड़ती है वही एक ऐसी ही ग्रामीण महिला घर की दहलीज से बाहर निकलकर गांव का जो विकास कार्य किया है जो शायद यह कोई पुरुष ग्राम प्रधान नहीं कर पाता।यही कारण है कि ग्राम पंचायत का एक बार नेतृत्व करने के बावजूद भी वहां की जनता ने ममता शुक्ला को दोबारा पंचायत चुनाव में जिता दिया था। आज ग्राम पंचायत का चौमुखी विकास देखकर नागरिक भी खुश हो रहा है। इसके पूर्व ममता शुक्ला घर की चौखट से बाहर नहीं निकल पाती थी पर आज ग्राम प्रधान का महत्वपूर्ण पद पाने के बाद हुए समाज को नई दिशा देने का काम कर रही है। बल्दीराय तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत डीह निवासी ग्रामीण महिला ममता शुक्ला ने पिछले दो पंच वर्षों से लगातार ग्राम पंचायत का नेतृत्व करती चली आ रही है ग्रामीणों ने यहां पूर्व के प्रधान द्वारा कार्य न कराए जाने से अपने को विकास कार्यों से अछूता मान रहे थे। वही महिला ग्राम प्रधान ममता शुक्ला ने अपनी ग्राम पंचायत के विभिन्न पुरवा गांवो में स्वास्थ्य महकमे की मदद से मातृ शिशु एवं परिवार कल्याण केंद्र का भवन का निर्माण करवा कर एक अनोखी पहल की है। ममता शुक्ला ने ग्राम पंचायत का महत्वपूर्ण गांव सिंदुरापुर में प्राथमिक विद्यालय का कायाकल्प करते हुए विद्यालय को एक सुंदर सा रूप दे दिया। यह विद्यालय देखने में किसी शहरी विद्यालय की सुविधा से कम नहीं है। ऐसे ही गांव के दर्जनों पुरवा गांव में आरसीसी इंटरलॉकिंग खडन्जा का निर्माण करवाते हुए नागरिकों के लिए आवागमन की सुविधा सुलभ की है। ग्राम पंचायत में विधवा पेंशन से अछूती विधवाओं को उन्होंने पेंशन दिला कर उन्हें इस लायक बना दिया है कि अब वह परिवार के भरोसे नहीं रहेगी। सूत्र बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान 2021 से ग्राम प्रधान महिला ममता शुक्ला द्वारा प्रत्येक गरीब ग्रामीणों के घर राशन मुहैया करवाकर उन्हें भोजन मुहैया करवाया। यही नहीं प्रत्येक वर्ष ठंडी के मौसम में ग्राम प्रधान महिला ममता शुक्ला द्वारा हर गरीब परिवार को एक-एक कंबल का वितरण करवा कर उन्हें ठंड से निजात दिलवाई है। ग्राम प्रधान ममता शुक्ला बताती है कि ग्राम पंचायत के विकास कार्यों के संपादन के लिए हमारे जेठ गोकर्ण शुक्ला ने कड़ी मेहनत के साथ विकास के लिए सहयोग दिया है। फिलहाल आज के इस आधुनिक युग में ऐसी ही मेहनती महिलाओं की समाज में जरूरत है। ग्राम पंचायत का नेतृत्व महिलाओं के हाथ में हो तो विकास कार्यों में चार चांद लग जाता है।
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