चित्रकला से विद्यार्थियों के कल्पना के पंख लगते है- डॉ संतोष अंश
सुलतापुर। जनपदीय संग्रहालय सुल्तानपुर, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में नगर के विभिन्न विद्यालयों के कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता में बच्चों ने विभिन्न प्रकार के चित्रों को बड़े ही सुंदर ढंग से बनाया और इन चित्रों में उनकी कल्पनाशीलता स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित हो रही थी। यह प्रतियोगिता दिन में 11:00 से चल रही थी जिसमें लगभग डेढ़ घंटे में विद्यार्थियों ने चित्रों का निर्माण संग्रहालय हाल में बैठकर किया। तत्पश्चात उन चित्रों का मूल्यांकन जजों द्वारा किया गया और परिणाम हेतु विद्यार्थियों का चयन हुआ इस प्रतियोगिता में केएनआईसी सुल्तानपुर की शिवांगी सिंह कक्षा 8 को प्रथम पुरस्कार, द्वितीय पुरस्कार माही बरनवाल कक्षा 8 राधा रानी कुँवर कृष्ण बालिका विद्यालय तथा तृतीय पुरस्कार दिव्यांशु कुमार कक्षा 6 केएनआईसी सुल्तानपुर एवं सांत्वना पुरस्कार सक्षम पटेल कक्षा 7 टाइनी टाटट्स पब्लिक स्कूल, एकता तिवारी कक्षा 8 राधा रानी कुंवर कृष्ण बालिका विद्यालय, अंकिता कुमारी कक्षा 8 रामकली बालिका विद्यालय, रोली कक्षा 6 रामकली बालिका विद्यालय, श्रेया यादव 7 टाइनी टाट्स पब्लिक स्कूल, शिखा कक्षा 6 केएनआईसी, आयुष मिश्रा लिटिल फ्लावर स्कूल, प्रिया शर्मा और क्षमा वर्मा, राधा रानी कुँवर कृष्ण बालिका विद्यालय को मिला मिले। मुख्य अतिथि राणा प्रताप पीजी कॉलेज बीएड के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संतोष कुमार सिंह अंश ने चित्रकला प्रतियोगिता में स्थान अर्जित करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि चित्रकला से आपकी कल्पनाशीलता को आयाम मिलता है। अपने भावों को चित्रों में ढाल हम समाज को संदेश भी देते जिससे समाज मे सकारात्मक परिवर्तन भी आता है। चित्रकला से विद्यार्थियों के कल्पना के पंख लगाते है। संग्रहालय द्वारा विद्यार्थियों को प्रतियोगिता में प्रतिभाग का अवसर और पुरस्कार से उत्साहवर्धन काबिलेतारीफ है। तत्पश्चात प्रतियोगिता में आए हुए विद्यार्थियों शिक्षको तथा अभिभावकों ने संग्रहालय का भ्रमण भी किया। संग्रहालय अध्यक्ष डॉ आशीष कुमार दुबे ने आए हुए मुख्य अतिथि, अध्यापकों, विद्यार्थियों तथा पत्रकार बंधुओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफल और कुशल संचालन लेखाकार लाल बहादुर यादव ने किया।
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