विस्थापन एक अभिशाप, अपनी अस्मिता को बचाने हेतु पलायन करता हिंदू
नई दिल्ली। मेरा घर था, खेती भी थी ट्रैक्टर भी था, बहुत ही अच्छी स्थिति में रह भी रहे थे, बच्चे भी पढ़ाई कर रहे थे, कहते हुए पाकिस्तान से आए हिंदू परिवार के मुखिया लक्ष्मण की आँखो में आँसू आ गए थे। अक्षय सनातन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश मिश्र के निर्देशन में राष्ट्रीय प्रवक्ता राजन शर्मा ने अपनी टीम के साथ पाकिस्तान से आए विस्थापित हिंदुओ से मुलाक़ात करने के लिए गए हुए थे। फूँस की झोपड़ी में इस ठिठुरती ठंड में अपने परिवार और छोटे बच्चों के साथ रहने को मजबूर है। मुलाकात के दौरान लक्ष्मण ने बताया लगभग सभी परिवार कोई हरिद्वार में अपने पूर्वजों के अस्थि विसर्जन हेतु तो कोई दर्शन स्नान के लिए वीज़ा लगवा कर भारत आया है। आने के बाद इन्होंने तय किया कि अब उस नर्क में किसी भी क़ीमत पर वापिस नही जाएँगे। जहाँ न तो वे सुरक्षित है और न ही उनकी बहू बेटियाँ ही सुरक्षित है। सरकार प्रशासन में उनकी कोई सुनवाई नही होती है। ईश निंदा का क़ानून कोई भी कभी भी बिना वजह लगा देता है। इस प्रकार की कई दुशवारियों का ज़िक्र किया। अक्षय सनातन महासभा ने उनको स्वरोज़गार उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया। रेहड़ी पटरी लगवाने एवं उससे अपना जीवन निर्वहन के लिए उनको प्रेरित किया। उन्होंने अलाव जलाकर एवं “कहवा “पिलाकर हमारा स्वागत गर्मजोशी के साथ किया।सभी बहुत ख़ुश थे कि अंत में अपना सब कुछ छोड़ दिया किंतु धर्म बचा लिया है। इस अवसर पर एडवोकेट आदेश भारद्वाज, एडवोकेट हरेंद्र करहाना, पंकज, सचिन, योगी आदि उपस्थित रहे।कलकत्ता से आए हुए स्व0 तपन दा के शिष्य सौरव सास्माल ने विस्थापित हिंदुओ को खाने पीने की सामग्री मूँगफली, गजक आदि भेंट किया। सभी को बहुत इन लोगों से मिलकर बड़ी प्रसन्नता हुई। लक्ष्मण आदि भी बहुत प्रसन्न थे कि हमें वह मान सम्मान प्राप्त हो रहा हैं जो सोचकर हम हिंदुस्थान आए हैं।
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