मासूम के साथ दुष्कर्म एवं निर्मम हत्या के दोषी 'अच्छन उर्फ हसनैन' को अंतिम सांस तक जेल काटने की कठोर सजा
सुलतानपुर। पांच वर्षीय मासूम बच्ची को हबस का शिकार बना कर उसकी निर्मम हत्या करने के मामले में स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत ने घटना के समय किशोर रहे अच्छन उर्फ हसनैन को दोषी करार देते हुए मृत्य ना होने जाने तक उसे कठोर कारावास की सजा काटने एवं 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। दोषी अच्छन को उसकी करनी की सजा दिलाने में आठ वर्षीय बहादुर मासूम फैजान की गवाही ने अहम भूमिका निभाई है।
मालूम हो कि कोतवाली नगर थाना क्षेत्र में 29 मार्च 2018 को दिन में एक पांच वर्षीय मासूम खेलने के लिए घर से बाहर निकली थी, शाम तक जब वह घर वापस नहीं लौटी तो परिजनों ने खोजबीन शुरू की,आसपास भी कई जगहो पर पूंछा लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। काफी खोजबीन के बाद पयागपट्टी चका-जंगल में उसकी लाश मिली। उस मासूम के साथ हैवानियत कर उसकी लेगी से गला कसकर उसे मौत के घाट उतार दिया गया था। मामले में पुलिस ने मृत मासूम के पिता की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया। तफ्तीश के दौरान पयागपट्टी चका के रहने वाले अच्छन उर्फ हसनैन पुत्र लल्लन का नाम सामने आया। तफ्तीश में पता चला कि हसनैन बच्चों के साथ खेलते वक्त मासूम को अकेले बुलाकर उसे टॉफी देने के बहाने अपने साथ लेकर चला गया था और उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देकर उसे मौत के घाट उतार दिया था। हसनैन के जरिए मासूम को साथ ले जाने की बात की पुष्टि साथ में खेल रहे उस वक्त करीब चार वर्ष के रहे मासूम मो. फैजान ने की थी, जिसकी गवाही व अन्य साक्ष्यो के आधार पर पुलिस ने तफ्तीश की तो अच्छन उर्फ हसनैन के जरिए ही वारदात को अंजाम दिया जाना पाया गया। इस आधार पर पुलिस ने गिरफ्तारी कर हसनैन के खिलाफ कार्रवाई की। घटना के समय अच्छन उर्फ हसनैन किशोर था लेकिन उसकी उम्र का निर्धारण नहीं हो सका था, जिसके चलते शुरुआत में मामले की सुनवाई किशोर न्यायालय में चली,जहां से अच्छन उर्फ हसनैन की जमानत खारिज हो गई। उम्र निर्धारण की कार्रवाई में पता चला कि घटना के समय अच्छन की उम्र करीब 16 वर्ष एक माह दो दिन रही। किशोर अच्छन की जमानत किशोर न्यायालय से खारिज होने के बाद जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील प्रस्तुत की गई, जिस पर सुनवाई के पश्चात तत्कालीन स्पेशल जज पाक्सो एक्ट प्रशांत मिश्र की अदालत ने उसे घटना के समय किशोर होने व मामला अज्ञात में दर्ज होने समेत अन्य तथ्यों को आधार मानते हुए उसे जमानत भी दे दी थी। फिलहाल बाद में काफी दिनों तक गैरहाजिर रहने के चलते अच्छन को फिर जेल जाना पड़ा था और तब से वह जेल ही काट रहा है। घटना के समय आरोपी अच्छन की उम्र 16 वर्ष से अधिक होने की वजह से बनी व्यवस्था के मुताबिक उसके खिलाफ एक वयस्क अपराधी की तरह ही स्पेशल जज पाक्सो एक्ट की अदालत में विचारण चला। इस दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अपने साक्ष्यो एवं तर्कों को प्रस्तुत करते हुए उसे बेकसूर साबित करने का भरसक प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। वहीं विशेष लोक अभियोजक रमेशचंद्र सिंह ने मासूम बच्ची के साथ घटना के पूर्व खेल रहे आठ वर्षीय मासूम मो. फैजान समेत अन्य अभियोजन गवाहों को परीक्षित कराया और घटना को साबित करने में सफल रहे। स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने मौजूदा समय में करीब 21 वर्ष के हो चुके आरोपी अच्छन उर्फ हसनैन को दोषी ठहराकर उसके जरिए कारित किए गए अत्यंत गम्भीर अपराध के दृष्टिगत उसे मृत्यु ना हो जाने तक उम्र भर जेल में कठोर सजा काटने एवं 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
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