महीनों से मानदेय का भुगतान न होने से विद्युत संविदा कर्मी बैठे हड़ताल पर

महीनों से मानदेय का भुगतान न होने से विद्युत संविदा कर्मी बैठे हड़ताल पर

केएमबी मो0 अफसर

सुल्तानपुर। विद्युत संविदा निविदा कर्मियों ने अपनी वेतन व मांगो को लेकर बृहस्पतिवार को धरने पर बैठे।
दरसल मामला विद्युत निविदा संविदा कर्मियो से जुड़ा है जहाँ ओरियन सिक्योरटी सल्यूशन प्राइवेट लिम्टेड ने दो माह का वेतन नही दिया और न ही 6 माह से निविदा कर्मियों का ईपीएफ जमा करवाया जिससे नाराज निविदा कर्मी अपने विद्युत उपकेंद्रों पर धरने पर बैठ गये। इसके बाद भी अधिकारियो और कार्य करवा रही ओरियन कम्पनी के कानों पर जूं तक नही रेग रही है।उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरशन निविदा कर्मचारी संघ के जिला उपाध्यक्ष ने दूरभाष पर बात करने पर बताया कि ओरियन नामक कार्यदाई संस्था को जिले की कमान माह मई 2019 को सौंपी गई थी जिसके बाद आये दिन वेतन को लेकर समस्याये खड़ी रहती है। शिकायत कई बार धरने के दौरान अधीक्षण अभियंता से की गई लेकिन हर बार अधिकारियों द्वारा निविदा कर्मियों को लोली पॉप दे कर शांत कर दिया जाता है। जब इस कम्पनी के बारे जानकारी की गई तो पता लगा कि ओरियन कम्पनी ने वेलफेयर के नाम पर लगभग निविदा कर्मियो के भुगतान से 42 महीने मे 46 लाख रुपये की कटौती कर डाली।शिकायत अधीक्षण अभियंता से की गई लेकिन उनके द्वारा भी आज तक कोई कार्यवाही कर निविदा कर्मीयो  के कटौती का पैसा वापस करवाने की बात छोड़िये प्रति माह मिलने वाला वेतन भी समय से नही दिलवा पा रहे है। वही जानकारों की माने तो ओरियन कम्पनी के ऊपर मध्यप्रदेश जिले के श्रम विभाग ने कार्यवाही कर 6 करोड़ अठासी लाख रुपये की घोटाले की बात कही ऐसे मे निविदा कर्मियों को यह भी डर सता रहा है कि अगर ओरियन कम्पनी ब्लैक लिस्टेड या भगजाति है तो निविदा कर्मीयो के वेतन भुगतान का जिमेदार कौन अधिकारी बनेगा। वही निविदा कर्मी चाँदा अमित दुबे की माने तो ओरियन कम्पनी ने ना तो 2 माह का वेतन अभी तक निविदा कर्मीयो को दिया है ना ही 6 माह का ईपीएफ जमा करवा और सुरक्षा उपकरण के नाम पर कोई भी समान उपलब्ध करवाया।वही गणेश प्रसाद तिवारी मीडिया प्रभारी की माने तो यह पहली बार नही हो रहा है निविदा कर्मियों को अपने वेतन के लिये इसी तरह धरना बार बार करने के बाद ही वेतन मिलता है और इस पूरे प्रकरण पर अधिकार मौन बैठे रहते है।लेकिन काम के समय निविदा कर्मीयो से आठ की जगह 24 घण्टे डियूटी ली जाती है जिसमे डिस्कनेक्शन ,राजस्व वसूली जैसे बड़े काम भी लिये जाने के साथ साथ लाइनों के अनुरक्षण व परिचालन का भी कार्य लेते रहते है।इन्ही कारणों से अधिकतर विधुत विभाग मे निविदा कर्मियों की विधुत दुर्घटना होती रहती है।
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