नवचेतना गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन देवपूजन के साथ शुरू हुआ गायत्री महायज्ञ
अमेठी। नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन देवपूजन के साथ 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ सम्पन्न हुआ। युगतीर्थ शांन्तिकुंज हरिद्वार के प्रतिनिधि टोली नायक राजकुमार भृगु, गायक सुनील बंशीधर, वादक दिनेश कुमार व राजाराम के द्वारा गीत-संगीत के साथ विधिवत देव आवाहन पूजन के साथ संपन्न कराया गया। गायत्री मंत्रों के साथ 24 कुंडों पर 3 पालियों में हवन कराया गया।यज्ञशाला को रामशंकर पाठक व आचार्य इंद्रदेव के द्वारा कई दिनों की मेहनत के बाद तैयार किया गया। 1 जनवरी को मंगल कलश यात्रा से प्रारंभ हुए नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ में 24 कुण्डों पर मुख्य यजमान सपत्नीक शामिल हुए। सायंकाल जीवन में गायत्री की महत्ता विषय पर गोष्ठी में व्याख्यान देते हुए टोली नायक राजकुमार भृगु ने गायत्री मंत्र और गायत्री मंत्र के प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि परम् पूज्य गुरुदेव ने अपनी तपश्चर्या से गायत्री मंत्र को पूरी दुनिया मे फैलाया। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र कोई साधारण मंत्र नहीं है, महामंत्र जितने जग माही कोउ गायत्री सम नाहीं। गायत्री मंत्र जपने के वैज्ञानिक लाभ हैं। गायत्री मंत्र सद्बुद्धि देने, प्राण शक्ति देने वाला, दुःख का नाश करने वाला, सुख की वृद्वि करने वाला, श्रेष्ठता, तेजस्विता को बढ़ाने वाला, पापों का नाश करने वाला, परमात्मा को अंतरात्मा में धारण करने वाला अद्भुत मंत्र है। इसके निरंतर जप करने से अपने आप बहुत सारे सकारात्मक परिवर्तन शुरू हो जाते हैं। गायत्री मंत्र का पहला शब्द है ॐ, और अब तो नासा के वैज्ञानिकों के शोध में यह बात सामने आई है कि सूरज की किरणों से निकलने वाली तरंगों की ध्वनि ॐ ही है। गायत्री मंत्र सविता देवता का मंत्र है, सूर्य भगवान का मंत्र है। जिससे जितना बन पड़े उतना जप अवश्य करें। उन्होंने बताया कि गायत्री मंत्र के बारे में बहुत सी भ्रांतियां फैलाई गई, मिथ्या प्रचार किया गया किंतु पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने गायत्री मंत्र को जन-जन तक पहुँचाया। आज अखिल विश्व गायत्री परिवार के सदस्य करोड़ों की संख्या में पूरी दुनिया मे फैले हुए हैं। 3 जनवरी को युवा संवाद कार्यक्रम आयोजित है जिसमें जनपद के हज़ारों युवाओं के शामिल होने की योजना है।
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