मोहगांव धोबी सर्रा कलबोड़ी धान खरीदी केंद्रों पर भ्रष्टाचार चरम पर
शासन के नियमों की उड़ा रहे हैं धज्जियां सोसाइटी प्रबंधक
सिवनी। इन दिनों जिले में धान खरीदी केंद्र संभवत पूर्ण हो चुके हैं परिवहन होना अभी बाकी है जिले की मोहगांव धोबी सर्रा कलबोड़ी धान खरीदी केंद्रों में भ्रष्टाचार चरम पर है। लगातार समाचार पत्रों में प्रकाशन के बावजूद भी किसी आला अधिकारियों ने इनके ऊपर नकेल नहीं कसी। जिले की धोबी सर्रा मोहगांव केंद्रों के द्वारा किसानों को लूटना, धान के संरक्षण में किसी प्रकार की व्यवस्था न होना, किसानों के सामने अपने भ्रष्टाचार को अंजाम देना यह हो रहा है। किसान करेगा भी क्या उसको तो जल्द से जल्द अपने धान को बेचना है ताकि बार-बार वह खरीदी केंद्र का चक्कर न लगाएं लेकिन प्रबंधकों की तो चांदी हो रखी है क्योंकि इनके ऊपर कोई नकल करने वाला नहीं है। सूत्रों की माने तो इन केंद्रों प्रभारियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।धान संग्रहण केन्द्रों में हुआ भ्रष्टाचार का पर्दाफाश अपने चरम सीमा पर है, फिर भी भ्रष्टाचार करने वालों ने अपने बच निकलने का नायाब तरीका ईजात किया हुआ है। धान संग्रहण केंद्रों का भ्रष्टाचार के प्रथम चरण में धान तौल के समय किसान के धान को 1 किलो से 4-5 किलो प्रति 40 किलो बोरे पर लेने का सिलसिला रहता है जो धान खरीदी के नियत तिथि तक अनवरत जारी रहता है। किसान अपने सामने मजबूर आंखों से यह मंजर देखकर कसमसाता रहता है। किंतु उसकी मजबूरी कि कैसे भी हो उसके धान की तौल प्रक्रिया समाप्त हो, ताकि उसे रोज रोज के चक्कर व अपने धान की रखवाली से निजात मिले। धान खरीदी केंद्रों को धान फड़ की रखवाली, नापतोल स्टेक बनवाई प्रकाश व्यवस्था के नाम पर सरकार की तरफ से लगभग 12 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी के हिसाब से दिया जाता है एवं यदा कदा बरसात होने की दशा में धान को सुरक्षित बचाने के लिए कैप का भी सरकार पैसा देती है किंतु 10 प्रतिशत धान खरीदी केंद्र ही इसका पालन करते है। खुले आसमान के नीचे यह धान पड़ा पड़ा धूप, गर्मी, उमस व बारिश की मार झेलता रहता है जिससे धान की गुणवता क्षीण होते जाती है। अंत में वो दिन भी जा जाता है और धान उठाने का सिलसिला जारी हो जाता है सर्वप्रथम मिलर्स को धान दिया जाता है। मिलर्स धान खरीदी केंद्रों से अच्छी गुणवता का धान उठाता है। बाद में बचाखुचा सड़ा गला अंकुरित एवं निम्न गुणवता वाला धान संग्रहण केंद्र भेजा जाता है। पूरे वर्ष का असली खेल इसी दौरान किया जाता है। अपने किए हुए भ्रष्टाचार का भरपाई एवं गिरे पड़े सड़े धान को नए बोरों में भरना, जिसमें प्रति बोरे का वजन 20 किलो से अधिकतम 30 किलो तक भरकर बोरे की मात्रा बढ़ाना। धान खरीदी केंद्र में बोरे की मात्रा पूर्ण होनी चाहिए, यदि धान खरीदी केंद्रों में बोरों की मात्रा कम पाई जाती है तभी केंद्र प्रभारी पर कार्रवाई होती है। बोरी पूरी होनी चाहिए, चाहे धान क्विंटल में कम क्यों ना हो यही कारण है कि केंद्र प्रभारी बोरों की मात्रा बराबर रखने की पूरे जोर कोशिश करता है और इसी प्रयास में धान बोरी की वजन को कम करते जाता है। आश्चर्य का विषय यह है कि जारी किया हुआ बारदाना एवं उपयोग बारदाने की संख्या बराबर होनी चाहिए, फिर प्रभारी का कोई बाल बाका नहीं कर सकता भले ही वजन में हजारों क्विंटल कम क्यों ना हो इस कमी की पूर्ति प्रबंधक समिति द्वारा की जाती है चाहे समिति का कमिशन काट कर हो या नगद भरपाई के रूप में। इस स्थिति में धान खरीदी केंद्र प्रभारी पूरी तरह बच निकलता है। हकीकत तो यह है कि इस गोरख धंधे में केंद्र प्रभारी, समिति अध्यक्ष व कंप्यूटर आपरेटर बराबर शरीक होते हैं जिन्हें भी दोषी बनाया जाना चाहिए धान खरीदी केंद्र में धान की कमी चाहे बोरों के रूप में हो या वजन के रूप में सर्वप्रथम धान खरीदी केन्द्र प्रभारी एवं बाकि सह अभियुक्त के रूप में भी दोषी बनाना चाहिए। मोहगांव खरीदी केंद्र में दलाल शुभम साहू के द्वारा बेची गई खराब धान प्राप्त जानकारी के अनुसार शुभम साहू ने सोसाइटी केंद्र पर गुणवत्ता विहीन धान बेच गई है और किसानों से ज्यादा तुलाई का मामला भी सामने आया है वही सोसाइटी प्रबंधक से इस विषय में बात करना चाहा तो सोसाइटी प्रबंधक के द्वारा फोन नहीं उठाया गया।
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