नर सेवा नारायण सेवा का संदेश सबसे मूलभूत पूंजी- रमेश जी
कादीपुर, सुल्तानपुर। चरित्र और संस्कार ही राष्ट्र निर्माण के मूल तत्व हैं, इनकी साधना और इनके परिमार्जन से ही देश सशक्त तथा महान बनता है। भारत राष्ट्र महापुरुषों की जिस साधना से विकसित हुआ है, उनमें विवेकानंद का वेदांत दर्शन दीन दुखियों के प्रति संवेदना का भाव और नर में नारायण की सेवा का संदेश सबसे मूलभूत पूजी है। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत प्रचारक रमेश ने संत तुलसीदास पीजी कॉलेज कादीपुर सुलतानपुर में 'जागृत राष्ट्र-जागृत युवा' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में दिए। वे संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग कर रहे थे। महाविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। एनएसएस इकाई के तत्वाधान निबंध लेखन, संभाषण प्रतियोगिता, तथा क्रीड़ा विभाग के सहयोग दौड़ प्रतिस्पर्धा एवं चित्र कला विभाग के सहयोग से विवेकानंद के जीवन पर एक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया। एनएसएस और मनोविज्ञान विभाग के द्वारा एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसके समन्वयक प्रोफेसर शैलेंद्र प्रसाद पांडेय थे। कार्यक्रमों का संयोजन अमृत महोत्सव प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ सतीश सिंह ने किया। संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्रबंधक सौरभ त्रिपाठी ने रेखांकित किया कि कर्मयोगी पंडित राम किशोर त्रिपाठी द्वारा स्थापित यह महाविद्यालय राष्ट्र निर्माण की अपनी साधना में सुदूरवर्ती क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के माध्यम से निरंतर 50 वर्ष से क्रियाशील है। संगोष्ठी में स्वागत संभाषण प्रो जितेन्द्र तिवारी ने प्रस्तुत किया। प्राचार्य प्रो आरएन सिंह विवेकानंद के प्रेरक प्रसंग युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय बताया और अतिथियों का धन्यवाद किया। संगोष्ठी के अवसर पर संगीत विभाग ने महत्वपूर्ण गीतों को प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में प्रो. मदन मोहन सिंह, प्रो. एस बी सिंह, डा संजीव रतन गुप्त, डॉ. करुणेश भट्ट, डा हरेंद्र सिंह, डॉ शनी शुक्ला, डा प्रभाकांत त्रिपाठी, डॉ शशिकांत दुबे, डॉ जीनत रफीक, डॉक्टर कुमुद राय, डॉक्टर एमपी सिंह, डॉ प्रज्ञा बरनवाल, डॉ प्रभात सिंह, डॉ संतोष पांडेय, डॉक्टर समीर पांडेय, डॉक्टर संजय सिंह, डॉ विजय तिवारी, डॉक्टर अमृता रघुवंशी, डॉक्टर राजकुमार सिंह, डॉक्टर संजय प्रकाश दुबे, डॉ बंदना मिश्रा, कीर्ति पांडेय, अखिलेश यादव, चंद्र प्रकाश यादव, प्रतीक मौर्य, उमाशंकर गुप्ता, नरेंद्र कुमार, सुशील कुमार, महेश सिंह, अवनीश पांडेय आदि प्राध्यापक उपस्थित रहे।
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