निजी स्वार्थ के लिए घुश्मेश्वर नाथ धाम को घुइसरनाथ लिखा जाना भयंकर त्रासदी को न्योता, शिव भक्तों में भारी आक्रोश
प्रतापगढ़। लालगंज तहसील से 8 किलोमीटर उत्तर सई नदी के तट पर बाबा भोलेनाथ का घुश्मेश्वरनाथ धाम पौराणिक काल से जनपद की अलग पहचान बना है। शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार घुश्मा एवं सुदेहा के कथा के अनुसार बाबा घुश्मेश्वर नाथ मंदिर का नाम बाबा घुश्मेश्वर नाथ पड़ा। कालांतर में धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज ने भी माना। उनके शिष्य पंडित तीर्थराज कोठी वाल ने अपनी पुस्तक "घुश्मेश्वर गौरवं" में घुश्मऻ ब्राह्मणी की कथा का वर्णन किया । उसी के आधार पर पौराणिक नगरी बाबा घुश्मेश्वर नाथ धाम मंदिर का नाम घुश्मेश्वर नाथ धाम से अपनी ख्याति बिखेरता चला आ रहा है जिसमें कालांतर बाद कुंभक ऋषि करील वृक्ष के नीचे आकर तपस्या किया तथा भगवान शिव से कहा कि हमारा भी नाम जुड़े। इसलिए कुम्भापुर गांव का नाम कुम्भापुर पड़ा। लोगों में भारी चर्चा है कि एक ट्रस्ट घुइसर नाथ मंदिर के नाम से है जिस का संचालन बड़ी हस्ती करती है। लोगों का यह भी कहना है यह निजी स्वार्थ के लिए बाबा धाम के नाम से छेड़छाड़ किया गया जो नितांत गलत है, जिसको लेकर शिव भक्तों में भारी आक्रोश पनप रहा है। कहीं यह आक्रोश ज्वालामुखी न बन जाए। लोगों में चर्चा कि कुछ यादव लोग बाबा घुश्मेश्वर नाथ धाम मंदिर गेट पर भी घुइसरनाथ यादव धाम लिखाना चाहते हैं जबकि बाबा घुश्मेश्वर नाथ धाम पौराणिक समय से चला आ रहा है जिसे बदला जाना भयंकर त्रासदी को न्योता देना है। ऐसी ओछी मानसिकता रखने वाले तथाकथित लोगों और इनका सपोर्ट करने वाले खद्दर धारियों को त्रिनेत्र हर हर महादेव के कोप के साथ-साथ शिव भक्तों के कोप का शिकार होना पड़ सकता है। शिव भक्तों ने शासन प्रशासन से मांग की है यदि समय रहते मामले पर कार्यवाही नहीं की गई तो आने वाले समय में जनमानस की चिंगारी ज्वालामुखी का रूप धारण कर सकती है, जिसे रोक पाना प्रशासन के लिए भारी चुनौती होगी ।
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