राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : संभावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित
सुल्तानपुर। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए उप शिक्षा निदेशक प्राचार्य डायट सुलतानपुर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का समुचित क्रियान्वयन करके ही हम युवा पीढ़ी को भविष्य की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बना सकते हैं।प्रारंभिक सत्र में विशिष्ट वक्ता हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय वाराणसी के असिस्टेंट प्रोफेसर राजेन्द्र प्रसाद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए अपने व्याख्यान में कहा कि पहले जहां 6 वर्ष का बच्चा विद्यालय में प्रवेश पाता था आज बाल वाटिका के अंदर 3 वर्ष के बच्चे का प्रवेश विद्यालय में नई शिक्षा नीति में करने का प्रावधान किया गया है तथा 10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 स्तर की स्कूली शिक्षा की बात राष्ट्रीय शिक्षा नीति करती है। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरि ओम सिंह ने अपने व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भाषा संबंधी प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि बहुभाषिकता बच्चों के संज्ञानात्मक विकास और वैश्विक नागरिक बनाने में सहायक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्थानीय भाषा में शिक्षा पर बल देती है किंतु अंग्रेजी के प्रयोग के साथ-साथ शास्त्रीय भाषाओं में रचित साहित्य और संस्कृति को समझने के विभिन्न अवसर प्रदान करती है। डायट प्रवक्ता शैलेश मौर्य ने अपने संबोधन में नयी शिक्षा नीति के विशिष्ट प्रस्तावों पर चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में कक्षा 6 से बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा देने की बात कही गई है तथा कौशल आधारित शिक्षा शिक्षा नीति का सबसे महत्वपूर्ण आयाम है राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में ऐसे मानव संपदा निर्मित करने की संकल्पना की गई है कि जिसके पास स्किल हो, नॉलेज हो एवं मानवीय मूल्य हों और राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत एवं विश्वस्तरीय मानकों पर कार्य करने की क्षमता रखता हो । डायट प्रवक्ता प्रियंका सिंह ने समतामूलक समाज और समावेशी शिक्षा विषय पर अपने संबोधन में विभिन्न उदाहरणों से स्पष्ट किया कि समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का महत्वपूर्ण लक्ष्य है। संत तुलसीदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सुल्तानपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सतीश कुमार सिंह ने नयी शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर बात करते हुए कहा कि मल्टीपल एंट्री तथा मल्टीपल एग्जिट उच्च शिक्षा में बहुत बड़ा परिवर्तन किया गया है अब 4 वर्ष का स्नातक कोर्स यदि किसी कारण से बच्चा पूरा नहीं कर पाता है तो उसे 2 वर्ष पूरे करने पर डिप्लोमा तथा 1 वर्ष पूरा करने पर प्रमाण पत्र प्रदान करने की बात राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कही गई है। उन्होंने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्राप्त अंक अकादमिक क्रेडिट बैंक में डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने तथा बहुविषयी संपूर्ण शिक्षा के साथ अनुसंधान पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विशेष बल दिया गया है। सेमिनार में जनपद के एसआरजी, एआरपी, खंड शिक्षा अधिकारी एवं डायट मेंटर एवं समस्त प्रशिक्षुओं सहित उक्त सेमिनार में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर डायट के वरिष्ठ प्रवक्ता पारसनाथ, सुनील कुमार बरनवाल, दिव्या रानी सहित समस्त डायट स्टाफ उपस्थित रहा। कार्यक्रम का संयोजन डॉ हरि ओम त्रिपाठी, शरद चतुर्वेदी, दिलीप कुमार शर्मा, अखिलेश कुमार, राजीव सिंह, नरेंद्र कुमार सिंह, अजय कुमार सरोज, संतोष कुमार वर्मा और सहयोग मनीष कुमार तिवारी एवं पवन पांडेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन शशांक शेखर सिंह ने किया। कार्यक्रम का संचालन डीएलएड प्रशिक्षु श्वेता, शीबा और पूजा द्वारा किया गया।
Tags
शिक्षा समाचार