नई दिल्ली से बड़ी खबर: दिल्ली पुलिस के 4 "डाकूबाज कांस्टेबल" डकैती डालने की आरोप में पुलिस के हत्थे चढ़े
केएमबी राजन शर्मा
नई दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के सागरपुर इलाके में एक व्यक्ति के घर डाका डालने के आरोप में दिल्ली पुलिस के चार कांस्टेबल सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया। विजय, दीपक, मंजेश और अंकित 2020 में पुलिस बल में शामिल हुए थे। पुलिस के अनुसार 19-20 अप्रैल के बीच की रात सागरपुर के मोहन नगर निवासी रजनीश के घर डकैती हुई थी। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि चार लोग कथित तौर पर उसके घर में घुस आए और उसके परिचित मनीष के पैसे बाकी होने की बात कहकर धमकी दी। वे लगभग 10.40 लाख रुपये नकद लूटकर ले गए। रजनीश के बयान पर लूट का मामला दर्ज कर लिया गया है। तकनीकी निगरानी के जरिए जांच के दौरान घर में घुसने वाले चार आरोपियों को पकड़ा गया। पूछताछ में पता चला कि मनीष रजनीश का पूर्व कर्मचारी है। मनीष को भी पकड़ लिया गया है और सभी आरोपियों के कब्जे से लूट का माल बरामद कर लिया गया है। इसके अलावा, अपराध के दौरान इस्तेमाल की गई दो कारें भी बरामद की गई है।राजधानी में अगर आप रहते हैं तो जानते होंगे कि दिल्ली पुलिस की इमेज 'हमेशा आपके साथ' या 'दिल की पुलिस' के तौर पर बनी या बनाई गई। लेकिन आप भी वो हेडिंग पढ़कर सकपका गए होंगे- डकैती में दिल्ली पुलिस के चार कांस्टेबल गिरफ्तार। मेरी तरह कई लोगों को शायद लगा हो कि शायद लिखने में कुछ गड़बड़ हो गई होगी लेकिन जब समझा तो दिमाग सन्न रह गया। मुश्किल के समय लोगों की मदद के लिए दौड़ने वाले पुलिसकर्मी अब 'डाकू' बन गए हैं। भले ही ये संख्या में चार थे लेकिन इस घटना ने न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश में खाकी वर्दी को दागदार किया है। अगर ऐसा ही मान लिया गया तो पुलिस को बुलाने से पहले लोग सौ बार सोचेंगे। जिन चार लोगों ने घर में घुसकर लूटपाट की है, उन्होंने अपने माता-पिता की प्रतिष्ठा को भी मिट्टी में मिला दिया है। सरकारी सिस्टम में एक नियम चला आ रहा है कि माता-पिता की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर उनके आश्रितों यानी बच्चे को नौकरी मिलती है। इन चारों 'डाकूबाज' कांस्टेबलों को भी अनुकंपा पर नौकरी मिली थी। इनके माता या पिता दिल्ली पुलिस में रहे होंगे, जिनकी जगह पर इन्हें नौकरी मिली थी। अब ये लूट के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं। एफआईआर दर्ज होने के साथ ही विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं। पुलिस अधिकारियों की मानें तो इन्हें बर्खास्त भी किया जा सकता है।
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