रामाकोना-बिछुआ पुल व सड़क खस्ताहाल, जिम्मेदार ठेकेदार व अधिकारी बेपरवाह
छिंदवाड़ा। प्रशासनिक उपेक्षा और राजनेताओं की इच्छाशक्ति की कमी के कारण भिमालगोंदी समीपस्थ पुल से गोनी होते हुए बिछुआ जाने वाली सड़क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। कई गांवों को जोड़ने वाली इस सड़क से प्रतिदिन सैकड़ों लोग सफर करते हैं। दिनभर वाहनों की आवाजाही लगी रहती है। फिर भी किसी को इसकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है। सड़क में जगह-जगह बने गड्ढे व उबड़-खाबड़ सड़क इसकी जर्जरता बयां करती है। सड़क जर्जर होने के कारण दोपहिया व छोटे वाहन चालकों को तो भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते इस मार्ग में अक्सर हादसे भी होते रहते है। जिससे होकर निकलना राहगीरों को मुश्किल हो जाता है। अब तो हालत यह है कि कोई नहीं है। भाड़े के वाहन भी इस मार्ग से जाने को कतराते हैं। अभिभावक अपने बच्चे को इस सड़क से होकर स्कूल भेजने में भी डरते हैं पता नहीं कब हादसा हो जाए। ऐसा नहीं है कि क्षेत्र के लोगों ने इस सड़क के पुनर्निर्माण की माग जोर-शोर से नहीं की लेकिन उनकी आवाज सुननेवाला शायद। बता दे एक निर्माण एजेंसी के द्वारा बकायदा सड़क पर लगाये गये सूचना फलक में गारंटी अवधि तक लिखी गई है किंतु सड़क का आधा अधूरा कार्य व एक वर्ष पुलिया बह जाने के बाद भी आज तक उक्त सड़क निर्माण व पुलिया मरम्मत को लेकर चालू नही किया गया। ऐसे में एक बार फिर बारिश में इस क्षेत्र के आदिवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दिखावे के लिए सूचना पटल पर गारंटी अवधि तो लिख जाती है किंतु सड़क को बनते बनते ही यह अवधि खत्म हो जाती है, ऐसे गारंटी अवधि सिर्फ दिखावे के लिए लिख दिया जाता है। जान जोखिम में डालकर कर रहे पार विगत वर्ष हुई भारी वर्षा ने यहां भिमालगोंदी के पास पुलिया बाढ़ में बह गई है। अब आलम यह है कि पुलिया के साथ सड़क का आधा हिस्सा बह गया है, कटी हुई जर्जर पुलिया से वाहन चालक जोखिम उठाकर आवाजाही कर रहे हैं। रात अंधेरे में इस क्षतिग्रस्त पुलिया पर हादसा होने का डर बना हुआ है। करीब आधा दर्जन गांवों को बिछुआ-रामाकोना से सीधे जोड़ने वाला मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण ग्रामीण और वाहन चालक बेहद परेशानी उठा रहा है। जान जोखिम में डालकर सड़कसे गुजर रहे है।
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