केंद्रीय मंत्री के क्षेत्र मे कब तक रहेगा किसान बेहाल, आखिर कब तक रहेगी गेरावा रजबहा बदहाल
महीने में दो बार लगती है स्थानीय विधायक की चौपाल फिर भी नहीं क्षेत्र के किसान खुशहाल
बाजार शुकुल अमेठी। स्वच्छ भारत अभियान के बाद भी सरकारी महकमे तो दूर आम लोगों की आदतें नहीं सुधर पाई हैं। बानगी तौर पर देखा जाए तो कस्बे के बीच निकली हुए माइनर में पड़ी गंदगी व कूड़े के ढेर ऐसा ही कुछ बयां कर रहे हैं। नहर में पानी नहीं चलने से गंदगी और बढ़ गई है, लेकिन निस्तारण की किसी को सुध नहीं है। गेरावा रजबहा क्षेत्र की इकलौती माइनर है जो कस्बा होकर गुजरती है। नहर में पानी नहीं चलने से जगह-जगह नहर कूड़े व गंदगी से पटी कभी भी देखी जा सकती है। साफ-सफाई करने के बजाय गंदगी नहर में फेंक दी जाती है। हालत यह है कि नहर को कूड़ादान बना दिया गया है। सिंचाई महकमा तो क्या लोग भी इस ओर मुंह फेरे हुए हैं। नतीजा स्थानीय वाशिंदों का जीना दूभर हो गया है।नहर में बढ़ती गंदगी से संक्रमण का भय बना देखा जा सकता है। किसान नेताओं में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। किसान नेता देवी दयाल शर्मा नंदकिशोर शुक्ला रामेश्वर लोधी राम प्रसाद रावत आदि किसान नेताओं मे रोष देखा जा रहा है। क्षेत्र के हताश और परेशान इस माइनर से आशा छोड़ राम भरोसे खेती करने को मजबूर देखे जा रहे हैं किसानों के बारे में कौन सोचेगा किससे अपनी समस्या बताई जाए बदहाल व्यवस्था खाद से सिंचाई तक किसान दोहरी मार से परेशान देखा जा रहा है। कहने को तो सरकार किसानों की आय दुगनी का दावा करती देखी जाती है। बावजूद विभाग के अफसरों द्वारा कागजी कोरम पूरा करते ही देखा जाता है। यह इकलौती माइनर से विभाग के जिम्मेदारों व जनप्रतिनिधियों से किसानों की उम्मीदें टूटती देखी जा रही है।
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