बच्चों को नही मिली यूनीफार्म, अभिभावक दबा गए डीबीटी स्कीम के तहत यूनीफार्म का पैसा
अमरोहा। डायरेक्ट बैनफिट ट्रांसफर डीबीटी स्कीम के तहत एक पखवाड़ा हो गया जब सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशभर के परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के साथ ही बच्चों की यूनीफार्म के लिए जिसमें जूते मौजे, स्कूल बैग एवं स्टेशनरी खरीदने को धनरशि अभिभावकों के खातों में भेजी थी। यह धनराशि प्रति बच्चा 1200 रुपये भेजी गई है, अधिकांश अभिभावक उस राशि को दबाकर बैठ गए है। संवाद टीम ने स्कूलों में पड़ताल की तो इनमें से 80 फीसदी बच्चे ऐसे मिले जिनके पास ड्रेस नहीं थी । हालांकि कई स्कूलों में काफी संख्या में ऐसे बच्चे तो मिले जो पुरानी ड्रेस के कपड़ों में थे, लेकिन नया स्कूली बैग एवं जूते और मौजे उनके पास नहीं थे। अधिकांश बच्चे हवाई एवं टूटी फुटी चप्पलों में ही स्कूल आए थे स्कूल अध्यापक अपने स्तर से घर घर जाकर अभिभावकों से संपर्क कर रहे है। जनपद से लेकर ब्लॉक एवं विद्यालय स्तर तक टास्क फोर्स गठित की गई है। बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए है। इसके पूरे प्रयास किए जा रहे है कि जो पैसा बच्चों की ड्रेस के लिए आया है अभिभावक उस पैसे को ड्रेस पर लगाए उधर गंगेश्बरी क्षेत्र के दर्जनो प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापको ने बताया कि स्कूल मे पंजीकृत बच्चों का पैसा अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से शासन द्वारा भेज दिया गया है जो स्कीम के तहत बच्चों के अभिभावकों को पैसा प्राप्त हो गया है। अधिकांश बच्चे बिन ड्रेस आ रहे। काफी बच्चों के पास पुरानी ड्रेस है, लेकिन जूते चप्पल एवं स्कूल बैग इनके पास नहीं। अभिभावकों से संपर्क भी किया जा रहा है बिना यूनीफार्म के छात्र छात्राएं प्राथमिक विद्यालय व उच्च प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिले। शिक्षक विभाग के ब्लॉक अध्यक्ष रामवीर सिंह ने बताया कि पंजिकृत बच्चें अभिभावकों के खाते में डीबीटी का पैसा पहुंच चुका है। लेकिन नई ड्रेस अभी तक अभिभावकों ने नहीं दिलवाई है।
जनपद के बेसिक स्कूलों का डीबीटी का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा चुका है। मुबारिजपुर गंगेश्बरी ब्लॉक क्षेत्र के विद्यालय में लगभग कई हजार बच्चों पर नही यूनीफार्म। इनमें अधिकांश बच्चे पुरानी पिछले साल की ड्रेस पहनकर स्कूल पहुँच रहे है लेकिन जूते और मौजे इनके पैरों में नहीं थे। बच्चों ने पूछने पर बताया उनकी ड्रेस अभी तक नहीं आई है। पिछले साल की ड्रेस है वहीं पहनी है। जबकि जूते टूट गए है। वह सभी चप्पलों में थे। अध्यापक सार्थक का कहना था अभिभावकों के खातों में पैसा भेजा जाता है। जब ड्रेस खरीदकर नहीं दे रहे है। अगर हम बच्चों पर दबाव बनाते है स्कूल में आना बंद कर देते है अभिभावकों के खातों में पैसा भेजा जा चुका है। अभिभावकों को ड्रेस दिलाने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। लेकिन अभी तक ड्रेस नहीं खरीदी है।
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