शोभा की सुपारी बना बीजासेन उपस्वास्थ केन्द्र

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शोभा की सुपारी बना बीजासेन उपस्वास्थ केन्द्र

केएमबी नीरज डेहरिया

सिवनी। एक तरफ सरकार लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं चला रही है। वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य केंद्रों की हालत दिनोंदिन बदतर होती जा रही है। हम बात कर रहे हैं बरगी बांध विस्थापित गांव बीजासेन तहसील घंसौर जिला सिवनी के उप स्वास्थ्य केंद्र के हालात की, जिसपर पर गौर करें तो यहां स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर हालात चिंताजनक हैं, सिर्फ चमचमाती बिल्डिंग बस नजर आएगी, सप्ताह में एक बार सीएचओ उप स्वास्थ्य केन्द्र चालू नहीं होने के कारण आंगनबाड़ी से ही दवाईयां वितरण करती हैं, नियमित रूप से नहीं बैठती हैं। पिछले दो-तीन वर्ष से ए, एन,एम का पद खाली है, समय पर गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं का टीकाकरण नहीं हो पाता है, समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घंसौर के अंतर्गत आने वाले यह उप स्वास्थ्य केंद्र बीजासेन का निर्माण के बाद से विभागीय अनदेखी का शिकार है। विभागीय अधिकारियों की देखरेख के अभाव में लाखों रुपये की लागत से बना यह केंद्र कहीं जर्जर अवस्था में पहुंच न जाए। गांवाें में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भवनों पर लाखाें रुपए खर्च करने के बाद भी ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। सभी काे लाभ मिले इसके लिए कई गांवाें में उप स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत ताे हुए और बिल्डिंग का भी  निर्माण  हुआ। इसके उलट कुछ गांव में भवन ताे सालाें पहले बन गया लेकिन उपयोग शुरू नहीं हुआ। इस कारण भी लाेगाें काे मजबूरी में शहर आकर निजी डॉक्टरों से महंगा उपचार कराना पड़ रहा है  उप स्वास्थ्य केंद्र बदहाली का शिकार है। उप स्वास्थ्य केन्द्र की चमचमाती बिल्डिंग बना दी गई लेकिन बिल्डिंग में ना तो पानी की सुविधा के लिए बोर हैं, न ही स्वास्थ्य केंद्र में बिजली सप्लाई के लिए मीटर लगा, उप स्वास्थ्य केंद्र परिसर में बड़ी-बड़ी झाड़ियां और गाजर घास के पौधे उग रहे हैं। यह स्थिति बनी हुई है। स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे ग्रामीणों ने  नियमित रूप से खुलवाए जाने की मांग की है।गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से सामान्य बीमारियाों के इलाज के साथ, टीकाकरण, गर्भवती माताओं की जांच एवं टीकाकरण, परिवार कल्याण के अस्थायी साधना का वितरण, कुपोषित बच्चों को एनआरसी के लिए रेफर करना, हाइरिस्क गर्भवती महिलाओं की निगरानी, मलेरिया की जांच, कुष्ठ जांच, पुनरीक्षित क्षय का नियंत्रण, महामारी नियंत्रण कार्यक्रम, असंचारी रोग नियंत्रण सहित अन्य सेवाएं केंद्राें के माध्यम से संचालित की जाती है। मजबूरी में ग्रामीण या ताे घंसौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते या फिर निजी चिकित्सकों से उपचार कराना पड़ता है। समय व धन दोनों खर्च करना पड़ता है। गांव में उप स्वास्थ्य केन्द्र होने के बाद भी गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान बाहर ले जाना पड़ता है, ऐसे में बड़ी मुश्किल होती है। भुवन बर्मन ग्रामीण कहते है कि सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए गंभीर हो, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नही दे रहे हैं।

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