विस्थापित गांव बखारी का निर्णय- रोड नहीं तो वोट नहीं
घंसौर सिवनी। नर्मदा घाटी में बने बरगी बांध से सिवनी जिले के घंसौर विकास खंड के 48 गांव विस्थापित एवं प्रभावित हुआ है।प्रदेश विकास के लिए बने बरगी बरगी बांध में अपनी उपजाऊ जमीन और जायदाद डूबोने के 33 साल बाद भी बखारी गांव को एक अदद सङक भी सरकार नहीं दे पाया है।यह वर्तमान विकास की त्रासदी है।जबकि बखारी से ठाकुर टोला चरगांव तक की 6 किलोमीटर सङक मुख्यमंत्री ग्राम सङक योजना के अंतर्गत 2009 - 10 से स्वीकृत है।इसके लिए मुख्यमंत्री, वनमंत्री, सांसद, विधायक, कलेक्टर, एसडीएम, कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत घंसौर आदि को आवेदन- निवेदन करते ग्रामीण निराश हो चुके हैं।ज्ञात हुआ है कि वन विभाग के डिविजनल कार्यालय सिवनी में फाइल लंबित है।बिडम्बना है कि सङक की स्वीकृति के एक दशक से अधिक बीत जाने पर भी फाइल आगे नहीं बढ पाया।धुमा माल पंचायत के पोषक ग्राम बखारी की महिला सरपंच असुन्ता राजेश मरावी कहती हैं कि बच्चे- बच्चियां 6 किलोमीटर पैदल केदारपुर स्कूल जाने आने से थक जाने के कारण घर में पढ़ाई नहीं कर पाती है।गुलाब झारिया ने बताया कि केदारपुर सोसायटी से हर माह राशन माथे पर लेकर आना पङता है।जो शारीरिक रूप से कमजोर से कमजोर हैं उन्हे काफी दिक्कत होता है।सङक नहीं होने से बेटा बेटियों की शादी में समस्या बनती है।गांव के चन्नू लाल सैयाम ने कहा कि पिछले साल 2 सितंबर को मेरे पत्नी के उपर खेत में काम करते वक्त बिजली तार टूटकर गिर जाने के कारण पूरी तरह झुलस गई थी।सङक नहीं होने के कारण एम्बुलेंस गांव तक नहीं आ पाया,तब खाट पर लेकर मेनरोड तक पहुंचाया गया।समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण अंत में उसकी मृत्यू हो गया।राजेश मरावी ने जानकारी दिया कि ग्राम बखारी माल एवं रैयत के महिला पुरूषों ने निर्णय लिया है कि इस बार विधान सभा चुनाव में गांव के लोग वोटों का बहिष्कार करेंगे।इस बाबत प्रशासन को जबाव देने लिए पन्द्रह दिन का समय दिया गया है।बरगी बांध से उजङने के बाद हमलोगों का कोई सुध लेने वाला नहीं है।इसलिए लोगों ने निर्णय लिया है कि "रोड नहीं तो वोट नहीं"।
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