जिले के चर्चित स्वर्गीय डॉक्टर तिवारी की श्रद्धांजलि सभा में उमड़ा आक्रोश का जनसैलाब
सुलतानपुर। जिले के चर्चित डॉक्टर तिवारी के हत्याकांड को लेकर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में तिकुनिया पार्क में आक्रोश का जन सैलाब देखने को मिला। जिले से क्या कई जिलों से लोग चलकर श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने के लिए तिकुनिया पार्क पहुंचे। इस दौरान तिकोनिया पार्क श्रद्धांजलि देने वालों से खचाखच भर गया। लोग सड़कों, अगल-बगल दुकानों पर खड़े होकर श्रद्धांजलि अर्पित किया। मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत हुई। श्रद्धांजलि सभा के दौरान एक मंच पर राजनैतिक दलों के नेता पहुंचे। श्रद्धांजलि सभा स्थल पर तिकोनिया पार्क में ब्राह्मण समुदाय के साथ-साथ अन्य जातियों के लोगों का भी जमावड़ा रहा। श्रद्धांजलि सभा के दौरान लंभुआ के ब्लाक प्रमुख कुंवर बहादुर सिंह, पूर्व मंत्री जय नारायण तिवारी, पूर्व विधायक देवमणि द्विवेदी, शिव नारायण मिश्र, पूर्व विधायक पवन पांडे, सांसद मेनका गांधी के प्रतिनिधि रंजीत कुमार, पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री डॉ शैलेंद्र त्रिपाठी, भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के सह प्रदेश प्रभारी रामचन्द्र मिश्र, बार अध्यक्ष अरविंद पांडेय, सचिव आर्तमणि मिश्र, गोरखपुर से आए राष्ट्रीय आरक्षण विरोधी संयुक्त मोर्चा के संयोजक अवधेश कुमार मिश्रा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राम आर्य पाठक, वरुण मिश्र, भाजपा नेता विकास शुक्ल, राजेश तिवारी, चित्रकूट से भोलानाथ, पूर्व बार अध्यक्ष अधिवक्ता अरुण उपाध्याय, करुणा शंकर द्विवेदी, वीरेंद्र चतुर्वेदी, पूर्व बार सचिव हेमंत मिश्र आदि लोग कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रहे। श्रद्धांजलि अर्पित करने के पश्चात विभिन्न दलों एवं विभिन्न सामाजिक मंचों के नेता एवं संभ्रांत जनों ने डॉक्टर तिवारी हत्याकांड पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। इसके दौरान कई जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अपराधी की कोई जाति नहीं होती है और अगर समाज में शांति लानी है तो अपराधी को अपराधी की तरह से लेना होगा। जिस तरीके की यह घटना हुई है, इस तरीके की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए हमें समझ में सख्त संदेश देना होगा कि अपराध किसी भी तरह का हो हम अपराधी के विरुद्ध इसी तरीके से खड़े मिलेंगे। किसी भी पीड़ित व्यक्ति के साथ खड़े होने पर उसकी पीड़ा कम नहीं होती है बल्कि उसकी यह होता है कि हमारे साथ हमारी आपत्ति के समय में लोग साथ खड़े हैं। समाज में इस तरीके का संदेश जाना चाहिए कि अगर हमारे ऊपर कोई आपत्ति विपत्ति आएगी तो निश्चित रूप से समाज के लोग हमारे साथ खड़े होंगे।
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