विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में ग्राम पंचायतों में सरकारी धन का हो रहा है बंदरबांट
केएमबी ब्यूरो
सुल्तानपुर। सरकारी धन हो, जनता के मेहनत की गाढ़ी कमाई हो, साथ ही विभागीय अधिकारियों का संरक्षण हो तो ग्राम पंचायतों में सरकारी धन का बंदर बाट होना तो स्वाभाविक है। पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में जिले की 986 ग्राम पंचायत में इन दिनों लगभग यही स्थिति देखने को मिल रही है। ग्राम पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत जिले के आला अधिकारियों से शिकायतकर्ताओं द्वारा की जाती है लेकिन जांच के लिए जब फाइल डीपीआरओ के पास पहुंचती है तो शिकायतकर्ताओं की फाइलें केवल कार्यालय की अलमारी में पड़ी धूल खाती नजर आती है। विदित रहे कि बीते दिनों विकासखंड जयसिंहपुर की ग्राम पंचायत फतेहपुर संगत में ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की शिकायत डीएम से की गई थी। जिलाधिकारी ने इसकी जांच डीपीआरओ को सौंप दी लेकिन कई माह बीत जाने के बाद भी जांच के नाम पर डीपीआरओ द्वारा टालमटोल किया जा रहा है। ग्राम पंचायत की तमाम ऐसी शिकायतें डीपीआरओ कार्यालय में फाइलों में दब कर रह गई हैं। यही कारण है कि ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का खेल अपने उरूज पर है। ताजा मामला विकासखंड दुबेपुर की ग्राम पंचायत लोहरामऊ से जुड़ा है जहां शासन के शासनादेश के विपरीत मजदूरों की मजदूरी से लेकर सीमेंटेड कुर्सी, स्ट्रीट लाइट व हैंडपंप मरम्मत और रिवोरिंग में बड़ा खेल किया जा रहा है। कई ग्राम पंचायतो के भ्रष्टाचार के खिलाफ केएमबी न्यूज़ द्वारा प्रमुखता से मामले को उठाया गया था, लेकिन उचित कार्रवाई करने के बजाय दबाव पड़ने पर डीपीआरओ ने संबंधित जिम्मेदारों पर प्रतिकूल प्रविष्टि कर भ्रष्टाचार के मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया। विभागीय अधिकारियों का खुल्लम खुल्ला संरक्षण मिलने से ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार्यों के हौसले बुलंद हैं।
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