केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा को एक नहीं कई तरह से पलीता लगा रहे हैं ग्रामप्रधान
केएमबी ब्यूरो
सुल्तानपुर। सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा भी भ्रष्टाचार के कारण दम तोड़ती नजर आ रही है। मनरेगा योजना के अंतर्गत एक मजदूरको चालू वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य शुरू किया गया था। मनरेगा का एक और उद्देश्य है टिकाऊ संपत्तियां, जैसे सड़कों, नहरों, तालाबों व कुओं का निर्माण करना।
जॉब कार्ड धारक को उसके निवास के 5 किमी के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाना है और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करना है। यदि आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर काम नहीं किया गया है तो आवेदक बेरोजगारी भत्ता के हकदार हैं। इस प्रकार मनरेगा के तहत रोजगार एक कानूनी हकदार है। मनरेगा को मुख्य रूप से ग्राम पंचायत द्वारा लागू किया जाना है, ठेकेदारों की भागीदारी प्रतिबंधित है। जल संचयन, सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण के लिए आधारभूत संरचना बनाने जैसे श्रम ग्रहण कार्यों की प्राथमिकता दी जाती है। आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने और ग्रामीण संपत्तियों को बनाने के अलावा एनआरईजीए पर्यावरण की रक्षा, महिलाओं को सशक्त बनाने, ग्रामीण शहरी प्रवास को कम करने और सामाजिक एक्टिविटी को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। लेकिन यहां तो ग्राम पंचायत में विकास की गंगा बहाने की शपथ लेने के बाद भी ग्राम प्रधान ग्राम सचिवों के सहयोग से मनरेगा योजना को पलीता लगाते दिखाई दे रहे हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला विकासखंड कूरेभार अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सैफुल्लागंज का सामने आया है जहां ग्राम प्रधान ग्राम सचिव की साठगांठ से मनरेगा मजदूरों के रोजगार पर डाका डाल रहे हैं। ग्राम प्रधान द्वारा अपने सगे संबंधियों का जॉब कार्ड बनाकर बिना काम कराए ही सरकारी धन को हजम कर लिया जा रहा है। ग्राम पंचायत सैफुल्लागंज में वित्तीय वर्ष 2023-24 में कई वर्ष पुराने बने तालाब को अमृत सरोवर तालाब दिखाकर लाखों के सरकारी धन का बंदर बांट किया गया है। इस संबंध में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि प्रधान पति से जानने की कोशिश की गई तो प्रधान पति ने बताया कि ग्राम पंचायत में कोई अमृतसरोवर तालाब का निर्माण नहीं हुआ है, लेकिन जब ग्राम सचिव से पूछा गया तो उन्होंने बताया ग्राम पंचायत में तियरी बॉर्डर पर अमृत सरोवर तालाब का निर्माण किया गया है, लेकिन जब इसकी पड़ताल की गई तो पाया गया कि सचिव द्वारा बताई जगह पर पूर्व में बना तालाब स्थित है, जिसकी स्थिति देखकर साफ दिखाई दे रहा है कि अमृत सरोवर तालाब का निर्माण हुआ ही नहीं है। विदित रहे कि ग्राम पंचायत में अमृत सरोवर के निर्माण के नाम पर पंचायत द्वारा लाखों रुपए की भारी भरकम राशि वित्तीय वर्ष 2023 24 में खारिज की जा चुकी है। प्रकरण के संबंध में खंड विकास अधिकारी पूरे भर से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि मामला मेरी जानकारी में नहीं है। आपके द्वारा प्रकरण को मेरे संज्ञान में लाया गया है। इसकी जांच कराकर विधि सम्मत कार्रवाई आवश्यक की जाएगी।