शोध प्रविधि पर आयोजित छः दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ समापन
केएमबी श्रावण कामड़े बिछुआ। शासकीय महाविद्यालय बिछुआ के भूगोल विभाग में शोध प्रविधि पर आयोजित छ:दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के अंतर्गत छठे दिवस के प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो.डॉ.श्रीकमल शर्मा (भूतपूर्व विभागाध्यक्ष भूगोल, डॉ.हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर,म.प्र.) ने शोध में संदर्भ लेखन की शैली को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया की विभिन्न संदर्भों के लिए थोड़े बहुत परिवर्तन की आवश्यकता पड़ती है लेकिन ढांचा वही रहता है। सामाजिक विज्ञानों में एपीए (अमरीकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन) शैली का उपयोग होता है। भूगोल में प्रयुक्त निकटतम परोसी विधि, विकास केन्द्र, विकास ध्रुव आदि तकनीकी बातो पर प्रकाश डाला गया। तकनीकी सत्र में महाविद्यालय के ग्रंथापाल मनीष पटेल ने ई-रिसोर्स और उसका शोध में उपयोग करने और साहित्यिक चोरी से बचने के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शासकीय महाविद्यालय बिछुआ के पुस्तकालय में आर.एफ.आई.डी.(रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफाई डिटेक्टर) तकनीक का प्रयोग होने वाला है जो मध्य प्रदेश में इस तकनीक का उपयोग करने वाला पहला शासकीय महाविद्यालय होगा। आयोजन में प्रो.आर.पी.तिवारी, (भूतपूर्व विभाग अध्यक्ष, भूगोल, शासकीय पी.जी. महाविद्यालय टीकमगढ़) ने भी महाविद्यालय में भूगोल विभाग में शोध केंद्र के खुलने पर छात्र छात्राओं को शोध के लिए आगे आने हेतु प्रेरित किया। महाविद्यालय के प्राचार्य, भूगोल विभाग अध्यक्ष, राष्ट्रीय कार्यशाला के संरक्षक डॉ. आर. पी. यादव द्वारा मुख्य अतिथि व कार्यक्रम अध्यक्ष और अन्य महाविद्यालय से आए सभी प्राध्यापको के स्वागत के साथ ही समापन सत्र पर स्वागत भाषण दिया गया। शासकीय स्वसाशी महाविद्यालय छिंदवाड़ा के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. डी.डी. विश्वकर्मा, शासकीय पीजी महाविद्यालय के भूगोल विभाग के डॉ. डी.पी. नामदेव, डॉ. अर्चना भार्गव, डॉ.सुनीता मेश्राम, पांढुरना महाविद्यालय से सहायक प्राध्यापक पंजाब सिंह, मनोज धुर्वे को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। राष्ट्रीय कार्यशाला कार्यक्रम का कुशल संचालन कार्यक्रम संयोजक मीना ठाकरे द्वारा किया गया एवं आभार प्रदर्शन डॉ. वैशाली गुप्ता, डॉ.शाहिदा बेगम मंसूरी, रामप्रकाश डेहरिया एवं दुजारी बोसम द्वारा ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों के अलावा चौरई, पांढुरना, सिवनी जुन्नारदेव आदि महाविद्यालयों के प्राध्यापक गण एवं विद्यार्थी ऑफिस कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में महाविद्यालय के स्नातकोत्तर एवं स्नातक के विद्यार्थी भी उपस्थित रहे। राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन राष्ट्रीय गीत के साथ किया गया।
Tags
शिक्षा समाचार