योगी आदित्यनाथ से मिलेगा संत समाज, पौराणिक धरोहर की रक्षा पर होगी चर्चा
सुल्तानपुर। सत्य साइन दाता आश्रम के संत द्वारा प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी को पत्र लिख समय मांगा गया है,सात सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपने विचारों को रखेगा, सुल्तानपुर जनपद में गोमती किनारे स्थित जिला कुश भवनपुर के सत्य साइन दाता आश्रम की कहानी इतिहास के पन्नों में लिखी गई हकीकत को बयां कर रही है। जब राजा नंद कुंवर राजभर का किला गोमती किनारे हुआ करता था। इतिहासकारों की माने तो कुश की राजधानी होने की वजह से कुश भवनपुर के नाम से जाना जाता था, जिसके तीन तरफ से नदी बहती थी। अपने आप में अभेद दुर्ग हुआ करता था। अंतिम हिंदू शासक के रूप में राजा नंद कुवर भर के किले के रूप में गजेटियर उत्तर प्रदेश में भी जिक्र है। जनपद वासी इसे पौराणिक धरोहर के रूप में देखते हैं, जहां पर आज भी नदी किनारे बंदरगाह किले के चारों तरफ कुएं और दीवारों के अवशेष हैं। एक कुआं ऐसा था जिसके पानी से कई प्रकार की बीमारियों का इलाज हुआ करता था, नदी के किनारे सीता कुंड घाट भी है।इतिहासकारों की माने तो छल करके ही किले पर अक्रांताओं ने कब्जा किया था। उत्तर प्रदेश का 69 वें जिले सुल्तानपुर का मध्यकालीन इतिहास बताता है कि यह कई छोटी रियासतों का गढ़ रहा है। अमेठी जनपद भी सुल्तानपुर का हिस्सा हुआ करता था। इतिहास के पन्नों में हर्षवर्धन के बाद यह पूर्ण रूप से मुस्लिम शासन के अधीन हो गया था। कुश भवनपुर उर्फ सुल्तानपुर पर राज करने वाला पहला मुस्लिम शासक निजामुद्दीन था। अवध के नवाब सफदरगंज इसे अवध की राजधानी भी बनाना चाहते थे। पूर्व मे जनपद हुमायूं, शेरशाह और अकबर की साम्राज्य का हिस्सा रहा है। जनपद छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा हुआ था बाद में अंग्रेजों के अधीन हो गया। वर्तमान समय में गुरुकुल के रूप में स्थापित, सत्य साई दाता आश्रम द्वारा, पौराणिक धरोहर को लेकर आवाज बुलंद की गई है। राजस्व अभिलेखों में हेरा फेरी करके, चन्द कर्मचारी एवं भूमाफियाओं द्वारा कूट रचित करके, जमीन खरीद कर नदी के किनारे अवैधानिक रूप से आवासीय जमीनों का कारोबार चल रहा है और पुराने अभिलेखों को नष्ट कर दिया गया है। देखना यह है कि कुश भवनपुर को न्याय मिलेगा या नहीं?
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