जाली दस्तावेज के सहारे ग्राम सभा की जमीन हड़पने की फिराक में भूमाफिया
केएमबी ब्यूरो
सुल्तानपुर। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार भले ही अवैध रूप से कब्ज की गई सरकारी जमीनों भू माफिया के चंगुल से कब्ज़ा छोड़ कर अवैध कब्जा मुक्त करने के लिए प्रयासरत हो लेकिन भूमाफिया बेस कीमती सरकारी जमीनों को हथियाने का कोई न कोई रास्ता ढूंढ ही लेते हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला सदर तहसील अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत ओदरा का सामने आया है, जहां मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजकर गांव के अफरोज अहमद पुत्र स्वर्गीय अबरार अहमद ने गांव के ही प्रॉपर्टी डीलर दिलशाद अहमद उर्फ रुखसार जो जमीन खरीदने और बेचने का काम करता है, अयोध्या प्रयागराज बाईपास स्थित गोमती ढाबे के सामने पुरानी गाटा संख्या 267 जिसकी गाटा संख्या 413 चकबंदी के दौरान तीन भागों में विभाजित हो गई। गाटा संख्या 413 ख रईस अहमद, पूनम सिंह, अरविंद सिंह व सतीश सिंह के नाम भूमि बतौर खातेदार अंकित हैं तथा गाटा संख्या 413 ग नवीन परती, गाटा संख्या 413 क दीगर बंजर के खाते में अंकित है जिसको भूमाफिया दिलशाद उर्फ रुखसार बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी प्रथम के न्यायालय में कूट रचित तरीके से जाली दस्तावेज तैयार कर अपने सगे भाइयों मोईद अहमद, नफीस अहमद, अनीस अहमद, महबूद अहमद, जुनैद अहमद, मोहम्मद हसनैन के साथ मिलकर चकबंदी न्यायालय में वर्ष 2015 में दायर मुकदमे की फाइल न मिलने का हवाला देकर चकबंदी के उपरांत धारा 52 का प्रकाशन होने के बाद फर्जी मुकदमा दायर कर सरकारी जमीन को हड़पने के फिराक में है। शिकायतकर्ता ने बताया दिलशाद उर्फ रुखसार का बड़ा भाई अनीश स्थानीय थाने का हिस्ट्रीशीटर है जिसके चलते आए दिन गांव में किसी न किसी की जमीन इन बंधुओ द्वारा हड़पने का प्रयास किया जाता रहता है। हिस्ट्रीशीटर अनीश के आगे ग्रामवासी अपने आप को असहाय महसूस करते हैं। शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र देते हुए भूमाफियाओं द्वारा चकबंदी न्यायालय में प्रस्तुत जाली दस्तावेजों की जांच कर सरकारी जमीन को इन भू माफिया के चंगुल से मुक्त कराने की मांग की है। अब देखना है कि उक्त बंजर भूमि जिसे जाली दस्तावेज के आधार पर भूमाफिया कब्जा करने की फिराक में है, वह बंजर भूमि भू माफिया के चंगुल से मुक्त हो पाती है अथवा भू माफिया अपनी चाल में कामयाब हो जाते हैं।
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