"व्यापारी" अर्थव्यवस्था का विधाता, बनकर रह गया केवल मतदाता
केएमबी संवाददाता
सुलतानपुर। व्यापारियों को अर्थव्यवस्था का विधाता कहा जाता है, वो व्यापारी चाहे निम्न वर्ग, मध्यम वर्ग या शीर्ष वर्ग का ही क्यों ना हो, सभी व्यापारी अपने अपने क्षेत्र में अपने व्यवसाय के सामर्थय अनुसार सरकार को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से अपना आर्थिक सहयोग प्रदान कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने का कार्य करता है।
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के वरिष्ठ जिला महामंत्री अम्बरीश मिश्रा के द्वारा बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि व्यवसायियों के लिए कई योजनाऐं लाई गई है एंव व्यवसायियों को उसका लाभ भी मिल रहा है, किंतु व्यवसायियों की कुछ ऐसी समस्याएं जो धरातल पर उतर कर ही समझी जा सकती है, उस तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं है।
लोकसभा चुनाव चल रहा है किंतु किसी भी पार्टी ने व्यवसायियों की छोटी-छोटी समस्याओं को जानने का प्रयास नहीं किया।
उन्होने बताया व्यवसाय की गति, अब पहले जैसी नहीं रही है। उनकी मांग है कि जैसे सरकार द्वारा कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाता है, वैसे ही व्यवसायियों के लिए स्वास्थ्य बीमे की आवश्यकता है।
इसी के साथ ही उन्होनें कहा कि यदि किसी व्यवसायी के प्रतिष्ठान में आग लग जाऐ या अन्य कोई दुर्घटना हो जाऐ तो उसकी जीएसटी के अनुसार खरीदी पर सरकार को उक्त व्यवसायी को हर्जाना देना चाहिऐ, क्योंकि सरकार प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से उक्त व्यवसाय के लाभ में खुद भी लाभ लेती है,तो नुकसान में भी भागीदारी होनी चाहिए।
अभी कुछ दिन पहले गल्ला मंडी में हुए अग्निकांड में प्रदेश मंत्री हिमांशु मालवीय के द्वारा माननीय सांसद महोदय से उक्त व्यवसायी के लिए हर्जाने की मांग की गई थी, किंतु अभी तक शासन प्रशासन एवं सरकार से किसी भी प्रकार की कोई सहायता नही मिली।
यह पूछे जाने पर की इस बार व्यवसायी अपने परंपरागत बीजेपी पार्टी या अन्य किसी पार्टी में अपना भविष्य देखेंगे तो उन्होंने बताया कि किस पार्टी को व्यवसायियों का समर्थन रहेगा, इस पर हमारी कोर कमेटी की बैठक में ही निर्णय लेने के उपरांत कुछ कहा जा सकता है, लेकिन अंतिम की एक लाईन उन्होनें कही कि परिवर्तन ही विकास को गति दे सकता है,ऐ हमें सोचनें पर मजबूर करता है कि क्या व्यवसायी अपनी परंपरागत लीग से हटकर कुछ अलग करने की सोच रहे हैं???
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