ज्ञापन क़े माध्यम से देश में एक समान शिक्षा व्यवस्था लागू करने की उठायी गयी मांग
केएमबी संवाददाता
सुलतानपुर: मछुवा कल्याण संस्थान क़े अध्यक्ष योगेश कुमार निषाद (प्रधान) क़े नेतृत्त्व में मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री को सम्बोधित जिलाधिकारी सुलतानपुर को सौंपा गया ज्ञापन l
मछुवा कल्याण संस्थान ने अपनी मांगो को लेकर ज्ञापन क़े माध्य्म से रखा तथ्य,एवं संविधान क़े हवाले से उठायी एक समान शिक्षा की मांग l
संस्थान का सुझाव
संसद द्वारा बनाया गया "शिक्षा अधिकार कानून" पूरे देश में लागू है इसलिए एक नया कानून बनाने की बजाय उसमें संशोधन करना चाहिए। वर्तमान कानून में "समान" शब्द जोड दिया जाए तो यह "समान शिक्षा अधिकार कानून" वन जाएगा और अभी यह 14 वर्ष तक,लागू है उसे 16 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
भारत के विभिन्न राज्यों में अपने-अपने शिक्षा बोर्ड हैं, जो कक्षा 6 से 12 तक की शिक्षा पर ध्यान देते हैं, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE ) और इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (ICSE ) के शिक्षा बोर्ड हैं,राज्यों में अपने अपने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ओपन व संस्कृत बोर्ड तथा मदरसा बोर्ड इत्यादि भी काम करते हैं।
आपसी प्रतिस्पर्धा में केंद्र बोर्ड की अपेक्षा राज्य बोर्ड, एवं इंग्लिश मीडियम की अपेक्षा हिंदी मीडियम क़े छात्र पिछड़ जाते हैं वे परिस्पर्धा का मुकाबला नहीं कर पाते हैं l
प्रतियोगी परीक्षा में जो सवाल पूछे जाते हैं वे प्राइमरी स्तर क़े सरकारी स्कूलों में नहीं पढाये जाते हैं l
संविधान की भावना क़े अनुरूप तथ्य
समान शिक्षा अर्थात "एक देश-एक शिक्षा" लागू करने से संविधान के आर्टिकल 14 के अनुसार भारत के सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलेगा,
आर्टिकल 15 के अनुसार जाति धर्म भाषा क्षेत्र रंग रूप बर्ग और जन्म स्थान के आधार पर चल रहा भेदभाव समाप्त होगा तथा आर्टिकल 16 के अनुसार प्रतियोगी परीक्षाओं और नौकरियों में देश के सभी युवाओं को रावको समान अवसर मिलेगा। समान पाठ्यक्रम लागू करने से आर्टिकल 17 की भावना के अनुसार शारीरिक और मानसिक छुआछूत समाप्त होगा और आर्टिकल 19 के अनुसार प्रत्येका मागरिता को देश में कहीं भी बसने और रोजगार करने का ममान अवसर मिलेगा।
आर्टिकल 21A के अनुसार शिक्षा 14 वर्ष तक के सभी बच्चों का मौलिक अधिकार है इसलिए पढ़ने-पढ़ाने की भाषा भले ही अलग हो लेकिन सिलेबस पूरे देश का एक समान होना ही चाहिए। 'एक देश एक पाठ्यक्रम लागू करने से आर्टिकल 38(2) की भावना के अनुसार समस्त प्रकार की असमानता की समाप्त करने में मदद मिलेगी और आर्टिकल 39 के अनुसार सभी बच्चों का समग्र, समावेशी और संपूर्ण विकास होगा। समान शिक्षा अर्थात गमान पाठ्यक्रम लागू करने से आर्टिकल 46 के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और गरीब बच्चों का शैक्षिक और आर्थिक विकास होगा तथा आर्टिकल 51 (A) की भावना के अनुसार देश के सभी नागरिकों में भेदभाव की भावना समाप्त होगी, आपसी भाईचारा मजबूत होगा तथा वैज्ञानिक तार्किक और एक जैसी सोच विकसित करने में मदद मिलेगी, परिणाम स्वरूप देश की एकता अखंडता मजबूत होगी।
संस्थान की मांग
केंद्र सरकार 'समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, स्तर की समानता, समान अवसर, भाईचारा, एकता और राष्ट्र की अखंडता की भावना के संवैधानिक लक्ष्यों के अनुरूप और आगे बढ़ाने के लिए सभी छात्रों के लिए 12वीं कक्षा तक एक समान शिक्षा प्रणाली (सामान पाठ्यक्रम और मातृभाषा एवं इंग्लिश में समान करिकुलम) लागू करने, का निर्देश दिया जाय।
सरकार का अधिकांश राजस्व तो मेहनत करने वालों मजदूरों से आता है, फिर भी इसके बदले दी जाने वाली शिक्षा का पूरा फायदा अमीर लोग उठाते हैं.आजादी के जमृत काल में यह प्रासंगिक होना दुखद है।समान शिक्षा बिना समता-समरसता मूलक समाज की स्थापना नामुमकिन है इसलिए जिस प्रकार पूरे देश में एक राष्ट्र-एक संविधान, एक राष्ट्र-एक नाग्रिता, एक राष्ट्र-एक कर एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड, एकराष्ट्र-एक ग्रिड, एक राष्ट्र-एक परीक्षा मंभव है तो स्कूली शिक्षा की मुदृढता के लिए एक राष्ट्र-एक पाठ्यक्रम के अंतर्गत एक राष्ट्र-एक शिक्षा (One Nation-One Education) अनिवार्य किया जाय।
ज्ञापन देने वालों में मछुवा कल्याण संस्थान क़े अध्यक्ष श्री योगेश कुमार निषाद क़े साथ सचिव विजय निषाद, कोषाध्यक्ष अनिल निषाद, उपाध्यक्ष योगेश निषाद, रोहित निषाद मोलनापुर, हरिश्चंद्र निषाद प्रबंधक श्रीराम शिक्षण संस्थान सैदपुर, सनोज निषाद टांटिया नगर, सुरेन्द्र निषाद भोयें, एडवोकेट प्रमोद निषाद बभनगांवा, दरगाही निषाद कटांवा, रामचंद्र निषाद कमनगढ, सुनील निषाद बलुआ, राजन निषाद, दिलीप निषाद चुनहा, रामजीत निषाद, शिवबक्स निषाद अध्यक्ष वीर एकलव्य समाज सेवा समिति, शिवकुमार निषाद प्रधान निजाम पट्टी, रीता निषाद महिला जिला अध्यक्ष मछुआ एकता संघ, दीपक निषाद बरासिन आदि लोग शामिल रहे l
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