खूंटा गाड़कर दबंगों ने रास्ते को किया अवरुद्ध, रास्ते के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं ग्रामीण
तहसील समाधान दिवस प्रभारी के निर्देश का अनुपालन नहीं कर रहे हैं थानाध्यक्ष बाजार शुकुल
बाजार शुकुल, अमेठी। मामला थाना बाजार शुकुल के अंतर्गत ग्राम पंचायत शेखपुरभंडरा से संबंधित है। जानकारी के मुताबिक बताते चलें कि ग्राम पंचायत शेखपुरभंडरा गांव पूरे भरोसी में एक सार्वजनिक रास्ते को लेकर विवाद है। जिसमें आधा दर्जन से अधिक पुरुष, महिलाओं ने मिलकर आरोप लगाया है कि गांव के सरहंग व दबंग किस्म के व्यक्ति जगदीश व खुशीराम सुत खिलोधर व पुष्पावती पत्नी खुशीराम दोनों भाई शिक्षामित्र पद के शिक्षक हैं, पूर्वजों के समय से चले आ रहे रास्ते में खूंटा गाड़कर रास्ते को बंद कर दिया है शिकायतकर्ता अर्चना देवी पत्नी मोतीलाल, कैलाशा पत्नी अशोक, श्यामपती पत्नी संतराम, अशोक पुत्र रामबकश, संतराम सुत धर्मराज, शिव मोहन सुत मनोहर, शिव दर्शन सुत साधूराम, सूरज सुत अशोक के घर तक ठेला एंबुलेंस पीसीआर तक भी नहीं आ-जा सकती है। निजी ट्रैक्टर को रास्ते से आने जाने पर भी लड़ाई -झगड़ा, गाली-गलौज, फौजदारी पर अमादा होते हैं और कहते हैं कि यह जमीन तुम्हारे पुरखों की नहीं है वन विभाग की है। उक्त समस्या की शिकायत को कई बार थाना समाधान दिवस बाजार शुक्ल व तहसील समाधान दिवस मुसाफिरखाना में की गई परंतु अधिकारी गण मौके पर आकर स्थिति को देखकर चले जाते हैं। दिनांक 06.07.2024 को तहसील समाधान दिवस में शिकायत की गई थी शिकायत की समस्या को समाधान प्रभारी एडिशनल एसपी ने सुना तथा समस्या के निस्तारण हेतु थानाध्यक्ष बाजार शुक्ल तनुज कुमार पाल को एप्लीकेशन फारवर्ड कर रास्ते से खूंटा हटवाकर रास्ता खोलवाने के लिए निर्देश दिए थे। परंतु एक सप्ताह का समय बीत जाने पर भी समस्या का नही हुआ निस्तारण। दिनांक 13.07.2024 को थाना बाजार शुकुल समाधान दिवस में पुनः आधा दर्जन से अधिक पुरुष व महिलाओं ने मिलकर एप्लीकेशन देकर अवरुद्ध हुए रास्ते को खुलवाने हेतु किया निवेदन। थाना समाधान दिवस प्रभारी तहसीलदार मजिस्ट्रेट राहुल सिंह मु० खाना व थानाध्यक्ष तनुज कुमार पाल तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उक्त विवादित रास्ते की जमीन वन विभाग की है जिसमें हम सब हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं और वहां के जो पक्ष-विपक्ष शिकायत कर्ता है वे सब अतिक्रमण करके वन-विभाग में अपना-अपना मकान निर्माण कर लिये है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि हम लोगो के मकान बंजर भूमि में थे जिसको वन विभाग ने वृक्षारोपण हेतु अधिग्रहण कर लिया है। वन विभाग के द्वारा आबादी एरिया को छोड़ा गया है केवल खाता वन विभाग के नाम कायम है। हमें आज तक किसी ने रोक नहीं है न ही कोई विधिक कार्यवाही की गई है। पहले से बने मकान के रास्ते में विपक्षी खूंटा गाड़कर हम सब का रास्ता बंद कर लिया है। अब ऐसी स्थिति में जिसका रास्ता बंद है क्या वह लोग अपने घर में ही पहदे(बंद) रहेंगे। आगे देखना है कि उक्त समस्या पर अधिकारी कर्मचारी गण क्या न्याय दिलवाते हैं अन्यथा समस्या ऐसी बनी रहेगी।
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