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भारत बंद के समर्थन में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने निकाली रैली एवं सौंपे ज्ञापन

भारत बंद के समर्थन में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने निकाली रैली एवं सौंपे ज्ञापन

केएमबी श्रावण कामड़े
बिछुआ। सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण में कोटे में कोटा के विरोध में एवं क्रीमीनेयर को लागू न करने के विरोध में जय भीम सेना सहित जिले के विभिन्न अनुसूचित जाति व जनजाति के संगठनों ने सामूहिक रूप से इस फैसले का विरोध कर भारत बंद का समर्थन करते हुये सांकेतिक धरना अम्बेडकर तिराह पर एवं समाज के लोगों द्वारा उद्बोधन पश्चात हजारों लोगों के साथ नगर के विभिन्न मार्गो अंबेडकर तिराह, मान सरोवर ,बस स्टेण्ड, इंदिरा तिराह, फब्बारा चौक से ई.एल.सी. होते हुये, शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कलेक्टर कार्यालय पहुॅचकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट इस पर पुनः विचार करे या केन्द्र सरकार विशेष सत्र बुलाकर अध्यादेश लाकर हमारे संवैधानिक अधिकारों को बचाये। जिलाध्यक्ष शिवम पहाड़े ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय का दिनांक 01.08.2024 के अनुसार एस.टी. व एस.टी. के आरक्षण में उप वर्गीकरण एवं क्रीमीलियर लागू करने के आदेश पारित किये गये हैं हम जय भीम सेना, मध्यप्रदेश आदिवासी विकास परिषद, भारतीय बौद्ध महासभा, जी.एस.यू. संगठन, ओ.बी.सी. महासभा, किसान मजदूर संघ, सुजाता महिला संघ, राष्ट्रीय मानव अधिकार एसोसिएशन एवं अन्य सामाजिक संगठन इस आदेश का विरोध करते हैं। इस फैसले को लेकर समाज में रोष व्याप्त है। चूंकि भारतीय संविधान में डॉ.बाबा साहब आम्बेडकर द्वारा विभिन्न जातियों को एक समूह में रखने के लिये संविधान में अनुच्छेद 341, 342 में समाहित कर आरक्षण की व्यवस्था देकर उनका आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में विकास हो तथा समाज में समानता मिले ऐसी व्यवस्था की गयी किन्तु इस व्यवस्था को न्यायपालिका द्वारा समाप्त किया जा रहा है। जिससे हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। आरक्षण कभी भी आर्थिक आधार पर नहीं। आरक्षण का उद्देश्य देश में जो गैर बराबरी की व्यवस्था से पीड़ित, शोषित वंचित समाज जाति के नाम पर अन्याय, अत्याचार होना, शोषित वंचित समाज को मुख्य धारा में लाने के लिया दिया गया था।उन्होनें महामहिम से आरक्षण में कोटे में कोटा उप वर्गीकरण व क्रीमिलेयर के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट पुनः विचार करे या केन्द्र सरकार विशेष सत्र बुलाकर इस फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाकर संवैधानिक अधिकारों को बचाने एवं केन्द्र सरकार द्वारा जाति जनगणना कराये जाने की मांग की । इस अवसर पर मुख्य रूप से शिवम पहाड़े, अरूणा तिलंते, बालाराम परतेती, मिथुन धुर्वे, लोधी विपिन वर्मा, पवन सरयाम, प्रहलाद कुमारे, श्याम शिवहरे, संजय परतेती, दशरथ उइके, शिवकुमार सिरसाम, मोरू पटेल, राजकुमार खड़से, गनपत यदुवंशी, दिनेश इवनाती, पप्पू मण्डराह, किशोर बंशकार, मदन बरखाने, जयपाल उइके, किरण कुमरे, सोनम मण्डराह, सुनीता सोमकुंवर, पिंकी चौधरी, विद्या मांडेकर, चन्द्रकला बेले, सोनू विश्वकर्मा, पारस बंशकार, गोलू रोड़े, अजय करोले, पंकज उइके, श्याम डोले, राजा गुन्हेरे, मनोज डेहरिया, कोमल भॉवरकर, गौतम बरखाने, विकास सातनकर आदि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग उपस्थित थे।
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