राम चरित मानस अवधी संस्कृति की पहचान- डा अर्जुन पाण्डेय
अमेठी। अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से श्री शिवप्रताप इंटर कालेज अमेठी के सभागार में गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्मोत्सव समारोह के अवसर पर 'श्रीरामचरितमानस की प्रासंगिकता' विषयक संगोष्ठी गोष्ठी एवं कवि गोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी तथा गोस्वामी तुलसीदास जी के चित्र पर पूजा अर्चना एवं माल्यार्पण से हुआ। विषय का प्रवर्तन करते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी का नाम इतिहास में सदैव अमिट रहेगा। गोस्वामी जी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ अवध, अवधी एवं अवधी संस्कृति की पहचान है। गोस्वामी जी द्वारा रचित मानस ग्रन्थ आज न केवल अवध प्रान्त अपितु देश-दुनिया के लगभग पन्द्रह करोड़ से अधिक लोगों की पसन्द बन चुका है। गोस्वामी तुलसीदास जी का भारतीय जनमानस सदैव ऋणी रहेगा। मुख्य अतिथि कैप्टन पी एन मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि रत्नावली न होती तो तुलसी तुलसी न बनते। गोस्वामी जी के लिए जरूर अमंगल बने दुनिया के लिए मंगल बने। ज्ञानेन्द्र पाण्डेय अवधी मधुरस ने पढ़ा अवधी हमरौ आन हौ, अवधी हमरौ बान। जाको मीठौ बोलि सुनि, मिसिरी घुलितौ कान।। रामेश्वर सिंह निराशा ने पढ़ा' लहू शत्रु का कश्मीर की घाटी मांग रहा है' राजेंद्र शुक्ल अमरेश ने पढ़ा रत्ना विकल हुई के रोई बार-बार, नाथ नाथ नाथ नाथ नाथ कहां पाई हो, डा केसरी शुक्ल ने पढ़ा - ये ज़मीं बदल गई, आसामां बदल गया, आदमी को देखिए आदमी निगल गया, जगदम्बा तिवारी मधुर ने पढ़ा- तुहैं रखिबै घुंघुटवा की छांव पिया अउब्या जौ गांव पिया ना, राम बदन शुक्ल पथिक ने पढ़ा - कविता कै खान तुलसी, भारत कै शान तुलसी, अभिजीत त्रिपाठी ने पढ़ा जाति का न पांति का, भेद जिनसे हो सका, राम जैसा विश्व में फिर कोई न हो सका, राम कुमारी संसृति ने पढ़ा - पास पढ़ोसिउ सखी सहेली सबकै अहै मीठी बानी, सरिता शुक्ला ने पढ़ा - कोई भगीरथ नहीं बचा अब अपने हिंदुस्तान में, समीर कुमार मिश्र ने पढ़ा -का बताई पहिले वाले न्यौता कै अब मजा चला गा। कवि गोष्ठी में सचिन समर्थ- मुश्किलों में भी मैं अरमान लिए बैठा हूॅं , हथेलियों पे अपनी जान लिए बैठा हूॅं, तेजभान सिंह ने पढ़ा- इन चिरागों से नाता गहरा मेरा, आषुतोष गुप्ता ने पढ़ा-ए मेरे हमदम ए मेरे साथी, अर्चना ओजस्वी ने पढ़ा- ऊंची बखरिया काहे ब्याहा मोरे बाबू जी, सुधा अग्रहरि ने पढ़ा- दादी की हूॅं लाडली बिटिया घर आंगन महकाती हूॅं, उदयराज वर्मा उदय ने पढ़ा - गैरों से फुरसत नहीं तो मेरा लिखना होगा बेमानी, ने अपनी रसभरी कविताओं से सब का मन मोह लिया। इस गोष्ठी में अभिमन्यु पाण्डेय, अनुभव मिश्र, जग न्निवास मिश्र आदि लोग मौजूद रहे।
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