66 वर्षों से चल रही बल्दीराय कस्बे की रामलीला आपसी सद्भाव का प्रतीक
बल्दीराय, सुलतानपुर। तहसील क्षेत्र के स्थानीय कस्बे में 66 वर्ष से अनवरत युवाओ के नेतुत्व में राम कथा का मंचन किया जा रहा है कस्बे की रामलीला आपसी सौहार्द्ध को समेटे हुए हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक सावित है। रामकथा के मंचन को देखने के लिए जहां हिन्दू दशहरा के पावन पर्व का इन्तजार करते है वही गांव का प्रत्येक मुस्लिम वर्ग भी पीछे नही रहता। हिन्दू मुस्लिम की महिलाए पुरुष रामलीला प्रांगण में एक साथ बैठकर रामकथा का आनन्द लेते है। ज्ञात रहे कि बल्दीराय कस्बे की रामलीला की शुरुआत वर्ष 1958 में हुई थी। उस समय आसपास में न तो दुर्गा पूजा मनाया जाता था और न ही कही रामलीला ही होती थी। बल्दीराय की रामलीला देखने के लिए भारी भीड उमड़ पड़ती थी। धीरे धीरे अब दुर्गापूजा व रामलीला एक साथ होने लगी। अपार जनसमूह भक्ति की आस्था संजोए मां की झांकी व भगवान राम की लीला का दर्शन एक साथ कर रहा है। रामलीला में लगभग पचास वर्षो से राजाजनक व हनुमान जी का किरदार निभा रहे कस्बे के प्रतिष्ठित व्यवसायी कन्हैया लाल अग्रहरि तथा राजा दशरथ का किरदार निभा रहे तुलसी राम अग्रहरि ने अपनी बढ़ती उम्र का बगैर ध्यान दिए राम लीला में अपनी सहभागिता निभा रहे है। इन्ही के साथ शिवकुमार कौशल गुरु वशिष्ठ, शिवकुमार गुप्ता गुरु विस्वामित्र, सीबू जायसवाल भगवान राम, रंगेश अग्रहरि भाई लक्ष्मण, राधेश्याम अग्रहरि भाई भरत, विनोद भक्त रावण मोहनलाल अग्रहरि कालिनेम विनोद अग्रहरि और अग्रदीप अग्रह रि बाणासुर तथा संजू अग्रहरि रामवनगमन के दौरान लक्ष्मण जी का अहम किरदार निभाते हुए भगवान की लीला प्रदर्शित कर रहे है। रामलीला प्रांगण में जब रात आठ बजे से रामकथा का मंचन शुरू होता है तो गाव के मुस्लिम महिलाए पुरुष राम भक्तो के बीच में बैठ कर रामलीला का अनुसरण करते है।
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