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ग्रामीणों ने लगाए धनौरा की ग्राम पंचायत थांवरी के पंचायत कर्मियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

ग्रामीणों ने लगाए धनौरा की ग्राम पंचायत थांवरी के पंचायत कर्मियों पर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप

पंचायत में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा विकास, अर्थलिप्सा की भेंट चढ़े करोड़ों के निर्माण कार्य

 केएमबी नीरज डेहरिया
सिवनी। सरकार ग्रामीणों के उत्थान और गांवों के विकास के लिए करोड़ों रूपए पंचायत को मुहैया कराती है, लेकिन पंचायत में जनता के भरोसे से बैठे जिम्मेदारों ने इस तरह भ्रष्टाचार किया कि आज न तो विकास दिख रहा है और न ही ग्रामीणों का उत्थान। ज्ञात होवे सिवनी जिले की जनपद पंचायत धनौरा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत थांवरी (बड़ी) में पंचायत कर्मी खुलेआम भ्रष्टाचार कर गरीबों के हक का पैसा लूट खसोटकर खा रहे हैं एवं नियमों को ताक पर रख कर फर्जी बिलों का भुगतान कर रहे हैं। हर निर्माण कार्य में कमीशन के लिए घोर अनियमितताएं की जा रही है। मनरेगा एवं प्रधानमंत्री आवास के एवज में लाभार्थी से अनावश्यक राशि की वसूली की जा रही है। अगर लाभार्थी देने में आनाकानी करता है तो उन्हें अगली किस्त नहीं दी जाएगी। ऐसा बोल कर ग्रामीणों को डराया धमकाया जा रहा है। वहीं इन पंचायत कर्मियों के द्वारा मनरेगा कार्य में बड़ा घोटाला किया, जाकर गरीबों का पैसा उनके अकाउंट में डालकर स्वयं के द्वारा निकाला जा रहा है। ग्रामीणों ने दोनों भ्रष्ट कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं एवं इस विषय को लेकर कलेक्टर एवं जिला सीईओ को भी अवगत कराया है। पंचायत के सचिव एवं सहायक सचिव अपने मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं जो शासन की मंशा के विपरीत है, उसके बावजूद भी आज तक ऐसे लोगों पर न तो कार्यवाही की गई और न ही भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास किया गया। शायद यही कारण है कि सचिव, और रोजगार सहायक मिलकर चहेतों को उपकृत करने में कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं।

सरपंच सचिव और रोजगार सहायक का खेल

पंचायत में होने वाले सामुदायिक स्वच्छता परिसर एवं अन्य निर्माण कार्यों की अगर जांच की जाए तो तीनों कर्मचारी के अनेकों भ्रष्टाचार उजागर हो सकते हैं पंचायत से संबंधित कोई भी काम हो इन तीनों की जेब भरे बिना ग्रामीणों का कोई काम हो नही सकता। इसको लेकर दोनों कर्मचारी ग्रामीणों से अवैध वसूली कर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं। लोगो में इनका रौब कुछ इस कदर का है कि पंचायत का ऐसा कोई भी कार्य नही है, जिनमें इनका भारी भरकम कमीशन नहीं रहता। चाहे फिर मनरेगा का कार्य हो या पीसीसी रोड का निर्माण या फिर प्रधान मंत्री आवास योजना। आपको बता दें कि मनरेगा योजना का उद्देश्य लोगो को रोजगार प्रदान करने की गारंटी देता है ताकि गरीब मजदूर वर्ग के लोगों का जीवन यापन आसानी से हो सके, इन भ्रष्ट लोगों के द्वारा मनरेगा का पैसा अपने अधीनस्थ कुछ चुनिंदा लोगों के खातों मे राशि का भुगतान कर के बहुत ही शातिर तरीके से राशियों का हेरफेर कर लिया जाता है, इनके फ़र्जी बिल भुगतान भी बहुत ही सरल तरीके से हो जाता है। ग्राम पंचायत ऐसे काम के लिए इनके हौसले इतने बुलंद है कि प्रशासन का इनको जरा भी डर नहीं है। ऐसे में इनको मनमानी करने की खुली छूट मिल गई है। पहले भी ऐसे तमाम काम कराए गए, जिनमें कमाई का रास्ता नजर आया। यहां तक कि कई अनुपयोगी काम भी करा दिए गए हैं, ऐसे तमाम निर्माण कार्य कराके जिम्मेदारों ने अपना-अपना हिस्सा तो ले लिया पर ये निर्माण कार्य अनुपयोगी पड़े-पड़े बर्बादी की कगार पर हैं। मनरेगा के काम मशीनों से कराके फर्जी मस्टर भरे जा रहे हैं, शिकायतों को अनदेखा करके जिम्मेदार मौन बने हैं। इसे लेकर लोगों में नाराजगी है और कुछ मामलों में अधिकारी दिखावे के लिए कार्रवाई करके अपनी कमी छिपाने में जुटे हैं। 

सूचना के अधिकार की उड़ा रहे धज्जियां, नही दी जा रही है जानकारी

सूचना का अधिकार अधिनियम अक्टूबर 2005 को लागू किया गया था। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा हथियार माना जाता रहा है। इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकता है। लेकिन ग्राम पंचायत थांवरी के सचिव के द्वारा इस अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है। अभी हाल ही में बीते दिनों ग्रामीणों ने इनके द्वारा किये गए कृत्यों को उजागर करने के लिए ग्राम पंचायत भवन में 16 अगस्त को ग्राम सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक से पंचायत कार्यों का विवरण एवं आय-व्यय खर्च की जानकारी आम जनता तथा पंचो ने मांगी तो वह नहीं दी गई। जिसके चलते ग्रामीणों ने सूचना के अधिकार के माध्यम से जानकारी चाही, किन्तु सचिव द्वारा निर्धारित समय सीमा के बाद भी जानकारी नही दी जा रही है। इन्हें शासन के नियम कानून से कोई मतलब नही है।

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा पीएम आवास, बिना मकान बने ही पैसों की हो गई निकासी

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। हितग्राहियों का आरोप है कि योजना के तहत मिलने वाले पैसे को इन पंचायत कर्मियों ने उच्चाधिकारियों से सांठगांठ करके खा लिया है। जिसके कारण से कई पीएम आवास अधूरे हैं। लेकिन सरकारी कागजों में आवास पूरे हैं। लिहाजा आज भोले-भाले ग्रामीण अधूरे घरों के पूरा होने का सपना देख रहे हैं, बारिश सिर पर है, लिहाजा एक बार फिर पूरी बारिश कच्चे मकानों में डर के साये में बितानी होगी। इन ग्रामीणों के साथ हो रहा छलावा थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्राम पंचायत थांवरी में प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत हितग्राहियों को राशि आवंटित की गयी थी, जिसमें से कुछ हितग्राहीयों के मकान बने है, किन्तु कुछेक हितग्राहियों के मकान बने ही नहीं है जिनकी राशि पूरी निकाल ली गयी है।

निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार, राशि निकल गई लेकिन नही हुआ निर्माण

15वें वित्त मद से ग्राम पंचायतों को दी जाने वाली राशि को खर्च करने के लिये शासन द्वारा विशेष प्रबंध किये गये हैं। किन्तु इन राशियों को अधिकारियों के साथ मिली-भगत कर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि बंदरबाट कर अपनी जेबे भर रहे हैं। 15वें वित्त योजना के तहत् टाईड एवं अनटाईड दो भागों में राशि का वितरण होता है। जिसमें विशेष कार्यों के लिये खर्च करने हेतु प्रावधान भी है, किन्तु इन राशियों को निर्माण कार्य के नाम पर खर्च कर बंटरबाट किया जा रहा है। स्थल पर बिना कार्य कराये ही राशि का आहरण कर लिया जा रहा है। जहां पर 15वें मद से राशि तो खर्च कर दी गई है लेकिन स्थल पर कार्य ही दिखाई नहीं दे रहा है। मनरेगा अंतर्गत तालाव, कुण्डा कुइया, स्टाप डेम, पशु सेड, शमशान भूमि, नाला साफ-सफाई कोई कार्य नहीं कराए गए है परंतु ग्राम पंचायत के पदाधिकारी के द्वारा फर्जी बिल बाउचर लगाकर राशि निकाली गई है, इनके द्वारा शासन की राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है, जबकि उक्त राशि ग्राम विकास योजना के कार्य में लगाना था परंतु ऐसा नही किया जा रहा है। जिससे ग्राम पंचायत का विकास कार्य अधूरा है।
ग्रामीणों ने इस मामले में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से जांच कराने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि दोषियों के विरुद्ध तत्काल जांच कर पंचायत राज अधिनियम की धारा के तहत निलंबन की कार्यवाही की जाकर राशि वसूली की जावे।
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