SDM जयसिंहपुर संतोष ओझा को कोर्ट ने किया बहाल: शासन को सस्पेंशन की कार्रवाई पर फटकार
सुल्तानपुर। बीते 13 दिसंबर को जयसिंहपुर तहसील के तत्कालीन एसडीएम संतोष कुमार ओझा को शासन ने सस्पेंड कर दिया था। 2 दिसंबर को उनकी कोर्ट के पेशकार समरजीत पाल को अयोध्या एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। इस घटना के बाद शासन ने एसडीएम पर कार्रवाई की। इससे पहले पेशकार को निलंबित किया जा चुका है। गोसाईंगंज के माधवपुर छतौना निवासी समरजीत पाल जयसिंहपुर एसडीएम कोर्ट में पेशकार थे। उनको पांच हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया। अयोध्या एंटी करप्शन टीम ने तहसील के पास के मैदान में यह कार्रवाई की। टीम ने समरजीत को गोसाईंगंज थाने ले जाकर एफआईआर दर्ज कराई थी। 16 दिसंबर को इसी मामले को लेकर एसडीएम संतोष कुमार ओझा हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ में पहुंचे। यहां उनके अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने न्यायधीश आलोक माथुर की कोर्ट में रिट फाइल की। उन्होंने शासन से जवाब मांगा था। आज इसी मामले में कोर्ट ने शासन को फटकार लगाई कि एसडीएम पर कार्रवाई हुई तो डीएम और कमिश्नर पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। साथ ही कोर्ट ने एसडीएम को बहाल कर दिया है। मालूम हो कि गोसाईंगंज के माधवपुर छतौना निवासी समरजीत पाल, जो जयसिंहपुर एसडीएम कोर्ट में पेशकार थे। उन्हें पांच हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया। अयोध्या एंटी करप्शन टीम ने तहसील के पास के मैदान में यह कार्रवाई की। टीम ने समरजीत को गोसाईंगंज थाने ले जाकर एफआईआर दर्ज कराई। एंटी करप्शन टीम के अनुसार, मोतिगरपुर के पारस पट्टी निवासी मोहर्रम अली ने 24 नवंबर को अयोध्या एंटी करप्शन कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया था कि उनके पिता की जमीन पर उनके चाचा अल्लादीन कब्जा कर निर्माण करवा रहे हैं।22 नवंबर को मोहर्रम अली के पिता ने एसडीएम जयसिंहपुर को सरकारी बंटवारे और स्थगन आदेश के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। लेकिन पेशकार समरजीत ने इसके बदले 25 हजार रुपये की मांग की। पहले पांच हजार तुरंत देने और बाकी पैसे बाद में देने की बात हुई। 28 नवंबर को मोहर्रम अली ने एंटी करप्शन टीम को रिश्वतखोरी की सूचना दी। 29 नवंबर को जांच में आरोप सही पाए गए। इसके बाद एंटी करप्शन टीम ने 2 दिसंबर को जाल बिछाकर पेशकार को गिरफ्तार कर लिया।
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