महाकुंभ में माघी पूर्णिमा पर संगम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु लग रहे हैं आस्था की डुबकी
प्रयागराज। महाकुंभ में बुधवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही माघ पूर्णिमा का अमृत स्नान प्रारंभ हो गया है। इसके लिए मंगलवार से ही संगम तट श्रद्धालुओं से पट गया था। दूर-दूर तक श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आ रही थी। बुधवार सुबह तक यह भीड़ और बढ़ गई। माघ मास का अमृत पाने की इच्छा में लगातार श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा। बुधवार तड़के ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई। इस दौरान प्रशासन ने भी व्यापक इंतजाम किए हैं। खासतौर से श्रद्धलुओं को आने में कोई दिक्कत न हो और जाम न लगे, इसलिए मंगलवार से ही शहर और मेला क्षेत्र को नो वीइकल जोन घोषित कर दिया गया था।
माघ मास में स्नान- यूं तो पूरे माघ मास में ही गंगा स्नान का महत्व है। माघी पूर्णिमा को स्नान का महत्व और बढ़ जाता है। पूर्णिमा को लोग स्नान काके दान-पुण्य करते हैं। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जब महाकुंभ चल रहा हो, माघ मास का आखिरी दिन हो और संगम स्नान का मौका मिल रहा हो तो इस अमृत को कोई नहीं छोड़ना चाहता। माघ मास के इसी अमृत को पाने की लालसा में बड़ी संख्या में संगम में डुबकी लगाने पहुंचे हैं।
उत्साह में कोई कमी नहीं- महाकुंभ मेला जैसे-जैसे खत्म होने को है, लोगों को लग रहा है कि वे स्नान से वंचित न रह जाएं। यही वजह हे कि अब भी यहां हर रोज एक करोड़ से ज्यादा लोग स्नान कर रहे हैं। माघ पूर्णिमा को और ज्यादा स्नान की उम्मीद है। स्नान के लिए संगम मार्ग से लेकर संगम तट पर इतनी भीड़ थी कि हर तरफ श्रद्धालु नजर आ रहे थे। यही वजह है कि प्रशासन ने इसके लिए अतिरिक्त इंतजाम किए हैं। शहर में वाहन तो प्रतिबंधित ही कर दिए हैं। संगम की ओर जाते समय पैदल श्रद्धालुओं को भी डायवर्ट करके भेजा जा रहा है। एक रास्ते से उनको संगम तट की ओर भेजा जा रहा तो दूसरी रास्ते से वापस। जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है। इस वजह से श्रद्धालुओं को ज्यादा दूरी तय करनी पड़ रही है लेकिन उनके उत्साह में कोई कमी नहीं है। श्रद्धालुओं का कहना है कि कुंभ बार-बार नहीं आता। यह तो महाकुंभ है। फिर पता नहीं, मौका मिले न मिले।
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